छत्तीसगढ़ में शिक्षा गुणवत्ता सुधार की दिशा में बड़ा कदम: 10,463 शालाओं का युक्तियुक्तकरण

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए ऐतिहासिक निर्णय लिया है। राज्य में 10,463 शालाओं का युक्तियुक्तकरण करते हुए शिक्षा संसाधनों के प्रभावी उपयोग की दिशा में एक मजबूत पहल की गई है। इसमें ई-संवर्ग की 5,849 और टी-संवर्ग की 4,614 शालाएं शामिल हैं। यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के निर्देशों के अनुरूप उठाया गया है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि युक्तियुक्तकरण से प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था अधिक समावेशी, प्रभावशाली और निरंतर होगी। यह निर्णय न केवल शिक्षकों के उचित वितरण को सुनिश्चित करेगा बल्कि विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का सतत अवसर भी प्रदान करेगा। एकीकृत विद्यालय परिसरों में विभिन्न स्तरों की शिक्षा उपलब्ध होने से ड्रॉपआउट की दर घटेगी और छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ेगा।
शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने बताया कि एक ही परिसर में संचालित 10,297 विद्यालयों को समायोजित किया गया है। इसके अतिरिक्त ग्रामीण क्षेत्रों में 1 किलोमीटर और शहरी क्षेत्रों में 500 मीटर के भीतर स्थित 166 विद्यालयों का भी युक्तियुक्तकरण किया गया है। इससे शिक्षकों की अतिरिक्त उपलब्धता सुनिश्चित होगी, जो अब शिक्षकविहीन या एकल शिक्षक वाले विद्यालयों में सेवा दे सकेंगे।
इस निर्णय से शैक्षणिक संसाधनों का बेहतर उपयोग, अधोसंरचना का विकास और स्थापना व्यय में कमी संभव होगी। एकीकृत परिसर में पुस्तकालय, कंप्यूटर लैब, विज्ञान प्रयोगशाला और खेल सुविधाओं का साझा उपयोग संभव होगा, जिससे शिक्षा अधिक समृद्ध और व्यावहारिक बन सकेगी। यह पहल न केवल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाएगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सशक्त और स्थायी शिक्षा व्यवस्था का मार्ग प्रशस्त करेगी। छत्तीसगढ़ सरकार का यह कदम राज्य को शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।