नक्सलियों ने जारी किया पत्र, बसवराजू के इनकाउंटर की कहानी बताई; संगठन के सदस्यों को कहा गद्दार

रायपुर। छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ के जंगलों में डेढ़ करोड़ के इनामी माओवादी नेता बसवराजू उर्फ बीआर दादा की मौत के बाद माओवादियों ने एक पत्र जारी कर इस मुठभेड़ की पूरी कहानी सामने रखी है। पत्र में माओवादियों ने दावा किया है कि उन्हें पहले से इस मुठभेड़ की आशंका थी, लेकिन संगठन में लगातार हो रही गद्दारी और सुरक्षा बलों के दबाव के कारण बसवराजू की सुरक्षा व्यवस्था को कम करना मजबूरी बन गई थी। माओवादी संगठन ने यह भी कहा है कि बसवराजू को सुरक्षित क्षेत्र में जाने को कई बार कहा गया, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया।
पत्र में माओवादियों ने साफ तौर पर यह स्वीकार किया है कि संगठन में गहराई तक सेंध लग चुकी थी। माड़ क्षेत्र की विभिन्न यूनिटों से कई माओवादी कमजोर पड़कर आत्मसमर्पण कर चुके थे। इन आत्मसमर्पित माओवादियों ने पुलिस को संगठन की गोपनीय जानकारी दी, जिससे सुरक्षा बलों को बसवराजू की गतिविधियों की जानकारी मिलती रही। इनमें से कुछ लोग पहले बसवराजू की सुरक्षा में भी शामिल थे। इसी वजह से पुलिस ने उनके खिलाफ सफल ऑपरेशन चलाया।
माओवादी पत्र में ऑपरेशन की विस्तृत जानकारी दी गई है। 17 मई से सुरक्षा बलों ने चारों ओर से इलाके को घेरना शुरू कर दिया था। पहले नारायणपुर और कोंडागांव से डीआरजी की टुकड़ियों की तैनाती की गई, फिर 18 मई को दंतेवाड़ा, बीजापुर और बस्तर फाइटर्स ने जंगल में प्रवेश किया। 19 मई की सुबह तक सुरक्षाबल माओवादी यूनिट के नजदीक पहुंच गए थे और उसी दिन सुबह 10 बजे पहली मुठभेड़ हुई। इसके बाद अलग-अलग समय पर पांच बार मुठभेड़ हुई।
20 मई की रात सुरक्षाबलों ने हजारों की संख्या में माओवादियों को चारों तरफ से घेर लिया। 21 मई की सुबह अंतिम ऑपरेशन हुआ, जिसमें आधुनिक हथियारों से लैस पुलिस बलों ने हमला किया। माओवादियों ने बताया कि उनके पास मात्र 35 लड़ाके थे, जो 60 घंटे से भूखे थे, जबकि सुरक्षाबलों को हेलिकॉप्टर से खाना-पानी मिल रहा था। पहले राउंड में डीआरजी का एक जवान मारा गया और फिर माओवादी कमांडर चंदन शहीद हुआ। अंत में सभी माओवादी मारे गए और बसवराजू को जिंदा पकड़कर मार दिया गया।
पत्र में यह भी बताया गया है कि इस मुठभेड़ में कुल 28 माओवादी मारे गए, जिनमें संगठन के कई वरिष्ठ सदस्य शामिल थे। माओवादियों ने शहादत को आंदोलन की प्रेरणा बताते हुए कहा कि बसवराजू पहले से ही जान देने के लिए तैयार थे। उन्होंने कई बार कहा था कि उनके बाद युवा नेतृत्व को जिम्मेदारी उठानी चाहिए। माओवादियों ने आगे लिखा कि इतिहास में कभी कोई शहादत बेकार नहीं गई है और यह भी आंदोलन को नई ताकत देगी।
अंत में माओवादियों ने आरोप लगाया कि माड़ क्षेत्र में एकतरफा सीजफायर की घोषणा की गई थी, ताकि शांति वार्ता के लिए माहौल बन सके। लेकिन केंद्र और राज्य सरकारों ने इसका लाभ उठाकर धोखे से हमला किया। माओवादियों ने यह भी कहा कि मीडिया और समाज ने इस धोखे पर कोई सवाल नहीं उठाया, जो चिंताजनक है। उनका दावा है कि अंतिम जीत जनता की ही होगी।