अजीत जोगी प्रतिमा अनावरण से पहले खंडित, अमित जोगी बैठे आमरण अनशन पर

जीपीएम। छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी की प्रतिमा को खंडित कर कचरे में फेंकने की घटना ने पूरे क्षेत्र में आक्रोश और दुख का माहौल पैदा कर दिया है। इस घटना से आहत होकर उनके पुत्र और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के नेता अमित जोगी ने आमरण अनशन शुरू कर दिया है। उन्होंने इस घटना को छत्तीसगढ़ की राजनीति पर एक “नीच हमला” बताया है और इसके खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज कराया है।
अमित जोगी ने अपने सोशल मीडिया मंच X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर बताया कि गौरेला के ज्योतिपुर चौक पर स्थापित अजीत जोगी की प्रतिमा को रात के अंधेरे में चोरी-छिपे उखाड़कर कचरे में फेंक दिया गया, जो न केवल अशोभनीय है, बल्कि पूरे क्षेत्र की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला कृत्य है। उन्होंने लिखा, “इस नीच कृत्य से पूरे क्षेत्रवासी आहत, दुखी और आक्रोशित हैं।”
उन्होंने सरकार और प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में अब “दुशासन बेखौफ अपराध कर रहा है और ‘सुशासन’ सिर्फ सरकारी फाइलों और विज्ञापनों तक सीमित रह गया है।” उनका कहना है कि इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि राज्य में कानून-व्यवस्था नाम की कोई चीज़ नहीं बची है।
अमित जोगी ने ऐलान किया है कि जब तक अजीत जोगी की प्रतिमा को ससम्मान पुनः स्थापित नहीं किया जाता और इस कृत्य के दोषियों को गिरफ्तार नहीं किया जाता, तब तक वे अपना आमरण अनशन जारी रखेंगे। उन्होंने कहा, “या तो जोगी जी की मूर्ति लगेगी या मेरी अर्थी उठेगी, यह अब सरकार को तय करना है।” घटना के बाद क्षेत्र के नागरिक भी सड़क पर उतर आए हैं और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। लोगों की मांग है कि जल्द से जल्द कार्रवाई की जाए और अजीत जोगी की प्रतिमा को उसी स्थान पर पुनः स्थापित किया जाए। यह मामला अब एक भावनात्मक और राजनीतिक मुद्दा बन चुका है, जिस पर सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार किया जा रहा है।