ऑपरेशन सिंदूर पर दुनिया को भारत का पक्ष बताएंगी सांसदों की सात टीमें, शशि थरूर और सुप्रिया सुले भी टीम का हिस्सा

दिल्ली। केंद्र सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का पक्ष मजबूती से रखने के लिए एक विशेष राजनयिक मिशन की योजना बनाई है। इसके तहत सात संसदीय प्रतिनिधिमंडलों को दुनिया के प्रमुख देशों, विशेषकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के सदस्यों के पास भेजा जाएगा। प्रत्येक डेलिगेशन में 5 सांसद होंगे, जिसमें सभी दलों के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है। इन दलों की अगुवाई वरिष्ठ सांसद करेंगे, जिनमें भाजपा से रविशंकर प्रसाद और बैजयंत पांडा, कांग्रेस से शशि थरूर, जदयू से संजय झा, डीएमके से कनिमोझी, एनसीपी (एसपी) से सुप्रिया सुले और शिवसेना (शिंदे गुट) से श्रीकांत शिंदे के नाम शामिल हैं।
इन डेलिगेशन का उद्देश्य विश्व समुदाय को यह समझाना है कि पाकिस्तान के खिलाफ की गई एयरस्ट्राइक भारत की आत्मरक्षा और आतंकी हमले का जवाब थी। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष टूरिस्टों की मौत के बाद, भारत ने 7 मई को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित 9 आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल एयरस्ट्राइक की थी, जिसमें करीब 100 आतंकियों को मार गिराया गया था।
सरकार ने कांग्रेस, टीएमसी, बीजेडी, डीएमके, एनसीपी और एआईएमआईएम सहित कई विपक्षी दलों के सांसदों से भी संपर्क किया है। कांग्रेस के चार सांसद – शशि थरूर, मनीष तिवारी, सलमान खुर्शीद और अमर सिंह को आमंत्रित किया गया है। हालांकि, थरूर के ऑपरेशन सिंदूर की सार्वजनिक सराहना को लेकर कांग्रेस में असंतोष है। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में कुछ नेताओं ने उनके बयान को पार्टी लाइन के विरुद्ध बताते हुए “लक्ष्मण रेखा पार” करने जैसा कहा। थरूर ने पहले बयान में कहा था कि यह ऑपरेशन भारत की एकता और आतंक के खिलाफ सटीक कार्रवाई का प्रतीक है।
इस मिशन का मकसद वैश्विक मंचों पर यह स्पष्ट करना है कि भारत की कार्रवाई पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क के खिलाफ थी, न कि पाक सरकार या सेना के विरुद्ध। अमेरिका की मध्यस्थता से 10 मई को हुए सीजफायर के बाद भी पाकिस्तान ने भारत के चार राज्यों पर हमला किया, जिससे भारत का पक्ष और भी सशक्त हो गया है। अब यह डेलिगेशन दुनिया को भारत की रणनीति, संयम और संप्रभुता की रक्षा के संकल्प से अवगत कराएगा।