पितृ पक्ष: भूल से भी न करें ये 5 काम, ऐसे मिलेगा पितरों का आशीर्वाद!
हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष एक पवित्र समय होता है. इस अवधि में पितरों की शांति के लिए कुछ विशेष नियमों और परंपराओं का पालन किया जाता है. पितरों को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है. जिससे पितरों का प्रसन्न करके उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सके और उनके आशीर्वाद से घर में खुशहाली बनी रहे.
इस साल 2024 में पितृ पक्ष की शुरुआत 17 सितंबर दिन मंगलवार से हो रही है और इसकी समाप्ति 2 अक्टूबर को होगी. इस दौरान श्रद्धालु अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए विशेष पूजा-अर्चना और अनुष्ठान करते हैं. पितृ पक्ष के दौरान इन कामों को भूल से भी नहीं करना चाहिए.
मांसाहार और मदिरा का सेवन
पितृ पक्ष के दौरान मांसाहार और मदिरा का सेवन करना वर्जित माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इनका सेवन करने से पितरों को कष्ट होता है और वे क्रोधित हो सकते हैं. इसके अलावा जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
लाल रंग के वस्त्र
पितृ पक्ष में लाल रंग के वस्त्र पहनने से लोगों को बचना चाहिए. लाल रंग को क्रोध का प्रतीक माना जाता है और यह पितरों को नाराज कर सकता है.
झूठ बोलना
पितृ पक्ष में झूठ बोलने से बचना चाहिए. सत्य बोलना ही पितरों को प्रसन्न करने का सबसे अच्छा तरीका होता है.
क्रोध और हिंसा
पितृ पक्ष में क्रोध और हिंसा से बचना चाहिए। शांत रहकर और सभी के साथ प्रेम से पेश आना चाहिए।
अनैतिक कार्य
पितृ पक्ष में किसी भी तरह के अनैतिक कार्य से बचना चाहिए। यह पितरों का अपमान माना जाता है।
पितरों को प्रसन्न करने के उपाय
पितृ पक्ष में इन नियमों का पालन करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है.पितृ पक्ष में श्राद्ध करना बहुत महत्वपूर्ण है. श्राद्ध में पितरों को भोजन, जल और दक्षिणा दी जाती है.
तर्पण में पितरों को जल अर्पित किया जाता है.
पिंडदान में पितरों के लिए पिंडदान किया जाता है.
पितृ पक्ष में दान करना बहुत शुभ माना जाता है.
पितरों के नाम का जाप करना भी शुभ होता है.
इन बातों का रखें खास ध्यान
पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों को याद करें और उनके प्रति सम्मान व्यक्त करें. पितरों के आशीर्वाद से जीवन में सफलता प्राप्त होती है. पितृपक्ष में पूर्वज पृथ्वी पर आते हैं और अपने वंशजों से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. उनके लिए किए गए दान, तर्पण और श्राद्ध कर्म से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है.