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राजनांदगांव

नहीं रहे ‘वर्तमान के वर्धमान’ संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज, ली समाधि, सीएम ने दुख जताया

राजनांदगांव: छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में जैन समाज के रत्न आचार्य विद्यासागर महाराज का दिगंबर मुनि परंपरा से समाधि पूर्वक मरण हो गया. आचार्य विद्यासागर ने 3 दिन पहले ही समाधि मरण की प्रक्रिया को शुरू कर पूर्ण रूप से अन्न-जल का त्याग कर दिया था और अखंड मौन व्रत ले लिया था. उनका जन्म कर्नाटक के सदलगा गांव में 10 अक्टूबर 1946 को शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था. वह आचार्य ज्ञानसागर के शिष्य थे. जब आचार्य ज्ञानसागर ने समाधि ली थी तब उन्होंने अपना आचार्य पद मुनि विद्यासागर को सौंप दिया था. ऐसे में मुनि विद्यासागर महज 26 वर्ष की उम्र में ही 22 नवंबर 1972 में आचार्य हो गए थे.

कर्नाटक में हुआ था जन्म

आचार्य विद्यासागर महाराज का जन्म कर्नाटक के बेलगांव के सदलगा गांव में 1946 में शरद पूर्णिमा के दिन 10 अक्टूबर को हुआ था. आचार्य विद्यासागर महाराज के 3 भाई और दो बहनें हैं. तीनों भाई में से 2 भाई आज मुनि हैं और भाई महावीर प्रसाद भी धर्म कार्य में लगे हुए हैं. आचार्य विद्यासागर महाराज की बहने स्वर्णा और सुवर्णा ने भी उनसे ही ब्रह्मचर्य लिया था. बता दें कि आचार्य विद्यासागर महाराज अबतक 500 से ज्यादा दिक्षा दे चुके हैं. हाल ही में 11 फरवरी को आचार्य विद्यासागर महाराज को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में उन्हें ब्रह्मांड के देवता के रूप में सम्मानित किया.

आधे दिन का राजकीय शोक घोषित

विश्व प्रसिद्ध दिगंबर जैन मुनि, संत परंपरा के आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी आज ब्रह्मलीन हो गए। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा महामुनिराज के निधन पर आज आधे दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा तथा कोई राजकीय समारोह/कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जायेंगें।

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