
बस्तर। छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बैलाडीला में एनएमडीसी के14 नंबर डिपाजिट में आयरन ओर की खनन को लेकर ग्रामीणों ने इसका विरोध किया है। विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर हजारों ग्रामीणों ने एनएमडीसी (NMDC) कार्यालय के सामने धरना दे दिया है।
विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर सोमवार को हजारों की संख्या में ग्रामीण देर शाम किरंदुल में स्थित NMDC के ऑफिस के सामने इकट्ठे हुए हैं. ग्रामीण अपने साथ राशन सामान भी लेकर आए हैं. और जब तक मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक कार्यालय के सामने डटे रहने की बात कही है..मंगलवार को डिपॉजिट नम्बर -14 के विरोध में ग्रामीण विशाल जनसभा भी आयोजित कर रहे हैं.
पर्यावरण को बचाने डिपॉजिट नम्बर 14 को बंद करने की कर रहे मांग
दरअसल एनएमडीसी के डिपॉजिट नंबर -14 में लौह अयस्क का खनन नहीं करने और पर्यावरण को बचाने जैसी मांगों को लेकर सोमवार देर शाम हजारों आदिवासी ग्रामीण किरंदुल पहुंचे और यहां हॉकी ग्राउंड में इक्कठे हुए . मंगलवार को इन ग्रामीणो के द्वारा एक विशाल जनसभा भी आयोजित की गई है .ग्रामीणों का आरोप है कि बैलाडीला. किरंदुल. बचेली के पहाड़ियों में पहले ही एनएमडीसी प्रबंधन लौह अयस्क का खनन कर रहा है. वही अब डिपॉजिट नम्बर -14 को कॉरपरेट घरानों को बेचकर यहाँ भी खनन की तैयारी की जा रही है. जिसका ग्रामीण पुरजोर विरोध कर रहे हैं.
ग्रामीणों का कहना है कि पहले ही कई इलाकों में लौह अयस्क के खनन की वजह से ग्रामीण लाल पानी पीने को मजबूर है. इस पानी को पीकर सैकड़ों ग्रामीण बीमार हो रहे हैं. लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. साथ ही लौह अयस्क के लिए पहाड़ों को खोदकर जल जंगल जमीन को नुकसान पहुँचाया जा रहा है. वातावरण भी पूरी तरह से प्रदूषित कर रहे हैं. मानवप्राणी. जीव जंतु और जंगल को नष्ट कर रहे हैं.
वहीं सारे नियमों को ताक में रखकर पर्यावरण के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. वहीं नई खदाने और खुदाई का विस्तार भी एनएमडीसी के द्वारा किया जा रहा है .इसके अलावा सुकमा जैसे इलाको में ग्रामीणों पर हवाई हमले किए जा रहे हैं. इन सभी को तत्काल प्रभाव से बंद करने की मांग को लेकर ग्रामीण धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. ग्रामीणों ने कहा कि जगदलपुर से बैलाडीला तक रेल पटरी के दोहरीकरण का काम भी बंद होना चाहिए. इसके अलावा लाल पानी से प्रभावित ग्रामीणों को मुआवजा देने की मांग के साथ ही अंदरूनी इलाकों में नये पुलिस कैंप खोलने बंद करने की मांग भी ग्रामीणों ने की है .उनका कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती वे आंदोलन पर डटे रहेंगे।