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गरियाबंद

Gariyaband: बूंद भर पानी का ठहराव नहीं तो कैसे संभव होगी सिचाई……सिचाई के नाम पर ग्रामीणों से सिर्फ दिखावा..पढ़िए पूरी खबर

परमेश्वर राजपूत@गरियाबंद। (Gariyaband) वाटर हार्वेस्टिंग कर आदिवासियों को सिंचाई सुविधा दिलाने की आड़ में जलग्रहण मिशन व भूमि सरंक्षण विभाग ने मैनपुर ब्लॉक में बीते तीन वर्षों में 10 करोड़ रूपये से भी ज्यादा पानी की तरह बहा दिया। लेकिन हकीकत तो यह है कि तकनीकी मापदण्डों को दरकिनार कर बनाये गए तालाब,चेकडेम व स्टॉप डेम में बूंदभर भी पानी नही ठहरता।

(Gariyaband) मूढ़गेल नाला में पदमपुर के पास 14 लाख लागत से यह चेक डेम साल भर पहले ही बनाए गए थे। निर्माण करने वाले एजेंसी जलग्रहण मिशन ने यह दावा भी किया था कि, निर्माण से पदमपुर गाव में 100 से भी ज्यादा किसानों को सिंचाई सुविधा मिलेगी। (Gariyaband) अब सवाल यह उठता है कि,बूंद भर भी पानी का ठहराव नहीं फिर सिचाई कैसे सम्भव हो सकेगी। यह तो केवल बानगी है। मौजूदा रिकार्ड बता रहा है की विगत 3 वर्षों में अमलिपदर इलाके के 12 गांव में 30 से भी ज्यादा चेकडेम स्टॉप डेम के अलावा, मुहि बंधान,मेढ़ बंधान व फार्म पौंड के नाम पर 5 करोड़ से भी ज्यादा फूंके गए।पूरे मैनपुर विकासखंड में यह आंकड़ा डबल है,जिसकी अनुमानित लागत 10 करोड़ से भी ज्यादा है।

वाटर हार्वेस्टिंग कर आदिवासियों को लाभ दिलाना सिर्फ दिखावा

वाटर हार्वेस्टिंग कर आदिवासियों को लाभान्वित करना महज एक दिखावा है। असल में पूरी स्किम खाओ पीओ व बन्दबाँट का है।ग्रामीण या पँचायत से इस योजना के लिए कोई मांग पत्र नही दिया जाता,निर्माण का काम भी जलग्रहण मिशन के गैर तकनीकी कर्मियों द्वारा किया जाता है।

पंचायतो को जिस चेक डेम के लिये 8 लाख से भी कम दिए जाते हैं। यह विभाग उतना ही काम के लिए दोगुनी राशि मंजूर करा लेता है। कार्य का स्टीमेट बनाने से लेकर सत्यापन,मूल्यांकन भी गैर तकनीशियन के हाथ मे होता है। इसलिए बजट में मनमानि कर सरकार को हर साल करोड़ों का चूना लगाया जा रहा है।

क्या कहना है कांग्रेस प्रदेश सचिव का

आदिवासी कांग्रेस के प्रदेश सचिव जनक ध्रुव ने इसे भाजपा सरकार से चली आ रही परिपाटी बता कर जल्द ही इस पर लगाम कसने की बात कही है। मामला उजागर होते देख विभाग के कोई भी कर्मी अफसर कैमरे के सामने बोलने को तैयार नहीं है।

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