Dhamtari: शहर के सिपाहियों को आखिर क्यों रास नहीं आ रहा गांव…..पढ़िए पूरी खबर

संदेश गुप्ता@धमतरी। (Dhamtari) लागी छूटे ना अब तो सनम… पुराने जमाने का यह गीत प्रेम में पड़े लोगों के लिए अब भी प्रासंगिक है। वहीं, मोह में फंसे अधिकारी व कर्मचारियों पर भी यह गीत फिट बैठता है। शहर के थानों में रहकर सिक्का जमा चुके कई सिपाहियों को दूर का थाना रास नहीं आ रहा है। यहां जमे जमाए मोर्चे को छोड़कर जाने से जमी जमाई सेटिंग भी छूट जाती है। (Dhamtari) आवक जावक पर सीधा असर पड़ता है। शहरी वातावरण में रहने की आदत हो जाये तो देहात का ठेठ माहौल बेचैन करता है। इनको जैसे ही वक्त या मौका मिलता है ये गाड़ी उठा कर शहर का रुख कर लेते हैं, और अपने पसंद के थानों के इर्द गिर्द देखे जा सकते हैं।
इसका नजारा शहर के लाइन और कोतवाली थाने में
(Dhamtari) जिला पुलिस में लगातार फेरबदल होते रहता है। पुलिसकर्मियों को इधर से उधर किया जाना एक सामान्य प्रक्रिया है। शहर के थाने में लंबे समय तक रहे सिपाहियों को गांव के थाने में भेज दिया गया। सिपाहियों ने कुछ दिन वहां काट लिए। गांव की आब-ओ-हवा उन्हें रास नहीं आ रही है।
इसके कारण वो शहर के कोतवाली और लाइन में आए दिन पहुंच जाते है। साथी कर्मचारी इसको लेकर, आपस में चर्चा करने लगे हैं। शहर का अरमान दिल मे लिए… दिन भर में एक बार शहर के थानों में उनकी आमद हो ही जाती है। लेकिन जब तक कप्तान का फरमान नही होगा तब तक इन बेचारों के अरमान दिल मे ही रहने वाले हैं।