रायपुर की मशरूम फैक्ट्री से बंधक बनाए गए 97 मजदूर रेस्क्यू, बच्चों तक को पीटा गया

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के खरोरा इलाके में महिला एवं बाल विकास विभाग ने एक मशरूम फैक्ट्री से 97 मजदूरों को बंधनमुक्त कराया। इनमें महिलाएं, पुरुष और छोटे बच्चे, यहां तक कि 10 दिन का एक नवजात भी शामिल था। ये सभी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड से लाए गए थे और मजदूरी के नाम पर अमानवीय परिस्थितियों में रखे गए थे।
जौनपुर निवासी मजदूर ने बताया कि उसे काम दिलाने के बहाने लाया गया, लेकिन यहां मजदूरी के पैसे नहीं मिले और शोषण व मारपीट झेलनी पड़ी। मजदूरों को शौच तक स्वतंत्रता से नहीं जाने दिया जाता था। खाना कच्चा मिलता और विरोध करने पर बच्चों तक को पीटा जाता था।
18 घंटे तक काम
ठेकेदार भोला ने मजदूरों को 10 हजार की नौकरी का झांसा देकर लाया, लेकिन यहां 18 घंटे तक काम कराया गया, कमरे में बंद रखा गया और मारपीट की गई। मशरूम काटने, बोझा उठाने और पैकिंग का काम कराया गया। कई बार नींद में भी जगाकर मारते थे। मजदूरों के मोबाइल और आधार कार्ड जब्त कर लिए गए ताकि वे संपर्क न कर सकें। एक मजदूर ने बताया कि फैक्ट्री मालिक ने उसकी उंगली पर ब्लेड चला दी थी। बच्चे की पिटाई के निशान भी सामने आए।
2 जुलाई को मजदूर भागे तो खुलासा हुआ
2 जुलाई को कुछ मजदूर फैक्ट्री से भाग निकले और स्थानीय लोगों की मदद से पुलिस तक पहुंचे। इसके बाद रेड मारकर 97 मजदूरों को छुड़ाया गया। फैक्ट्री का नाम ‘मारुति फ्रेश’ है, जो पिकरीडीह गांव में स्थित है। पुलिस को दी गई शिकायत में विकास, विपिन और नितेश तिवारी के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं। मामले को दबाने की कोशिश भी हुई, लेकिन सरकारी विभाग की सख्ती से खुलासा हो गया।