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अमेरिका के फंड से चल रहे 7 प्रोजेक्ट का इस्तेमाल वोटर टर्न आउट बढ़ाने के लिए नहीं: वित्त मंत्रालय

दिल्ली।  भारत में अमेरिकी फंड से 7 प्रोजेक्ट चल रहे हैं, लेकिन इनमें वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए कोई फंड नहीं दिया जा रहा है। यह खुलासा वित्त मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) से भारत में 840 करोड़ रुपये के फंड से सात प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं, लेकिन इनमें से कोई भी प्रोजेक्ट वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए नहीं है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के द्वारा इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद, 182 करोड़ रुपये के फंड को लेकर विवाद शुरू हो गया है। ट्रम्प ने हाल ही में भारत में वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए फंड भेजे जाने का दावा किया था।ट्रम्प ने पहले कहा था कि भारत को वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए 182 करोड़ रुपये का फंड दिया गया। उन्होंने यह भी कहा था कि बांग्लादेश में 250 करोड़ रुपये का फंड एक ऐसी संस्था को दिया गया, जिसका नाम भी किसी ने नहीं सुना।

ट्रम्प ने इन फंड्स को रिश्वतखोरी से जोड़ा और कहा कि इस पैसे का कुछ हिस्सा लौटकर उन लोगों के पास आ रहा है जो इसे भेज रहे हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने ट्रम्प के बयान को लेकर चिंता जताई है और कहा कि वह इस मामले की जांच कर रहे हैं। अमेरिका से भारत को यह फंड कंसोर्टियम फॉर इलेक्शंस एंड पॉलिटिकल प्रोसेस स्ट्रेंथनिंग (CEPPS) नामक संस्था के माध्यम से पहुंचा था। इस फंड का इस्तेमाल चुनाव जागरूकता, रैलियों, डोर-टू-डोर कैंपेन, और मीडिया प्रचार के लिए किया गया था। वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में चुनाव संबंधी कोई अमेरिकी मदद 2008 के बाद से नहीं मिली है।

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