गरियाबंद

Gariyaband: सरकारी जमीन पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा, सरपंच व सचिव ने तहसीलदार को सौंपा था ज्ञापन, सालभर बीते मगर नहीं हुई कार्रवाई

रवि तिवारी@ देवभोग। (Gariyaband) कुम्हड़ई खुर्द पंचायत में करीब डेढ़ एकड़ सरकारी जमीन पर अतिक्रमणकारियों ने सालों से  कब्जा कर लिया है। वही सरकारी जमीन पर कब्जा होने के चलते पंचायत का विकास कार्य भी ठप हो गया है। पंचायत में पिछले दो साल में स्वीकृत हुए दो आंगनबाड़ी भवन और एक पीडीएस का भवन जगह नही होने के चलते निरस्त हो गया है। (Gariyaband) मामले में सरपंच और सचिव द्वारा साल भर पहले कब्जा हटाने को लेकर तहसीलदार को सौपे गए ज्ञापन पर भी अब तक किसी तरह की कोई कार्रवाई नही हो पाई है। वही सरपंच-सचिव के आवेदन पर कार्रवाई नही होने के चलते कब्जाधारियों का हौसला बुलंद हो गया है। मामले में पंचायत की सरपंच निलेन्द्री यादव और सचिव अनन्त राम बीसी के अनुसार साल भर पहले तहसीलदार को आवेदन कर वस्तुस्थिति से अवगत करवाकर कब्जा हटाने के लिए गुहार लगाया गया था, (Gariyaband) लेकिन किसी तरह की कोई कार्रवाई आवेदन पर अब तक नही हुई। सरपंच-सचिव की माने तो सरकारी जगह नही होने के कारण पंचायत में स्वीकृत हुए तीन भवन निरस्त हो गए है।

सरकारी कर्मचारी पर सरकारी जमीन को बेचने का आरोप

कुम्हड़ई खुर्द के उपसरपंच चंदन सोनी,सुरेश यादव,सारथी राम पटेल,सुरेश यादव ने तहसीलदार को भेजे गए आवेदन में जिक्र किया है कि सरकारी कर्मचारी श्रीमुखो यादव द्वारा खसरा नम्बर 184 के कुछ जमीन को बेचा गया है। वही तहसीलदार को आवेदन करने के बाद जांच में पहुँचे पटवारी को भी ग्रामीणों ने बताया कि सरकारी जमीन को सरकारी कर्मचारी द्वारा कब्जा कर खसरा नम्बर 184 के कुछ भाग को गॉव के एक व्यक्ति के पास बेच दिया गया है। जिसके बाद उक्त ग्रामीण द्वारा सरकारी जगह पर घर बनाना भी शुरू कर दिया गया है। ग्रामीणों ने उक्त जमीन पर अतिक्रमण हटाने की मांग तहसीलदार से किया है।

विकास को तरस रहा पंचायत

ब्लॉक का कुम्हड़ई खुर्द पंचायत विकास के लिए तरस रहा है। इस पंचायत में विकास में सबसे बड़ा रोड़ा सरकारी जमीन का ना होना है। सरकारी जमीन में कब्जाधारियों के द्वारा कब्जा होने के कारण पंचायत के पास जमीन ही नही बची है। ऐसे में जितना भी भवन स्वीकृत हो रहा है। उसे जगह की कमी के चलते निरस्त करवाना पड़ रहा है। गॉव के बिसिपारा और गोहटिया पारा में साल भर पहले आंगनबाड़ी भवन स्वीकृत हुआ था,वही सरकारी जगह नही होने के चलते दोनों भवन को निरस्त करना पड़ा।

मामले में तहसीलदार समीर शर्मा ने बताया की ग्रामीणों ने आवेदन किया है कि गॉव के श्रीमुखो के द्वारा सरकारी जमीन पर कब्जा किया गया था,और अब खसरा नम्बर 184 के कुछ टुकड़े को बेच दिया गया है। मामले में जांच के लिए टीम भेज दी गयी है। रिपोर्ट मिलते ही जिस व्यक्ति के पास बेचने की बात कही जा रही है,उसका भी बयान दर्ज किया जाएगा। जांच में सरकारी जमीन बेचने की पुष्टि होने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। वही डेढ़ एकड़ जमीन में कब्जा होने की जानकारी आपके माध्यम से मिल रही है। इसका भी जांच जल्द ही किया जाएगा। किसी भी शर्त में सरकारी जमीन में कब्जा करने वालों को बख्शा नही जाएगा।

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