छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में 7 बच्चों की किडनी फेल होने से मौत के मामले में प्रशासन ने दो कफ सिरप, कोल्ड्रिफ (Coldrif) और नेक्सा डीएस (Nexa DS) पर बैन लगा दिया है। पड़ताल में पता चला कि इन सिरपों को प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले सरकारी डॉक्टरों भी अपने पर्चे में लिखते थे।
विशेषज्ञों के अनुसार, ये दवाएं आम मेडिकल स्टोर पर नहीं मिलती थीं और केवल चुनिंदा शिशु रोग विशेषज्ञ इन्हें लिखते थे। सिरप उनके प्राइवेट क्लिनिक के आसपास के गिने-चुने स्टोर्स में उपलब्ध थे। राज्य स्वास्थ्य विभाग ने उत्पादन रोकने के लिए तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश की सरकारों को पत्र लिखा है। फिलहाल 13 सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं।
डॉक्टर और स्टोर का गठजोड़
छिंदवाड़ा के परासिया ब्लॉक के दो प्रमुख शिशु रोग विशेषज्ञ, डॉ. प्रवीण सोनी और डॉ. अमन सिद्दीकी, के पर्चों में कोल्ड्रिफ लिखा पाया गया। डॉ. सोनी के परिवार के सदस्य उनके मेडिकल स्टोर का संचालन करते हैं।
हितांश नाम के एक बच्चे के लिए डॉ. सोनी ने कोल्ड्रिफ सिरप लिखा था, जिसकी मौत हो चुकी है। स्टॉकिस्टों के अनुसार, महीने में लगभग 600 बोतलें सप्लाई होती थीं। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि सिरप से किडनी फेल हुई या नहीं। डॉ. सोनी का कहना है कि वे पिछले 38 सालों से प्रैक्टिस कर रहे हैं और दवा के प्रभाव देखकर प्रिस्क्राइब करते हैं। उन्होंने बताया कि लोग वायरल बुखार और सर्दी-खांसी में स्वयं दवा ले लेते हैं।