देश में 5.50 करोड़ केस कोर्ट में पेंडिंग,सुप्रीम कोर्ट में 90 हजार

हाई कोर्ट में 63 लाख और निचली अदालतों में 4.84 करोड़ मामले लंबित
दिल्ली। देश की न्यायिक व्यवस्था पर बढ़ते बोझ का संकेत देते हुए केंद्र सरकार ने गुरुवार को राज्यसभा में बताया कि पूरे देश में 5.49 करोड़ से अधिक मामले अदालतों में पेंडिंग हैं।
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने एक लिखित जवाब में कहा कि सुप्रीम कोर्ट से लेकर जिला और तहसील स्तर तक लंबित मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है और इसका असर न्याय-delivery सिस्टम पर दिखाई दे रहा है।
सरकार द्वारा जारी ताजा आंकड़ों (8 दिसंबर तक) के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में 90,897 मामले, देश के 25 हाई कोर्ट में 63,63,406 मामले, और निचली अदालतों में 4,84,57,343 मामले लंबित हैं।
मेघवाल ने बताया कि न्यायिक देरी के कई कारण हैं मामलों की जटिलता, सबूतों की प्रकृति, सुनवाई में शामिल वकीलों, गवाहों और वादियों का सहयोग, जांच एजेंसियों की भूमिका और अदालतों में पर्याप्त स्टाफ व बुनियादी ढांचे की कमी। इन सभी वजहों से पेंडेंसी लगातार बढ़ती जा रही है।
CJI सूर्यकांत ने जताई थी चिंता
नवनियुक्त चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) सूर्यकांत ने भी हाल ही में इस मुद्दे पर गंभीर चिंता जताई थी। 22 नवंबर को उन्होंने कहा था कि 5 करोड़ से ज्यादा पेंडिंग केस न्यायपालिका की सबसे बड़ी चुनौती हैं। CJI ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या 90 हजार से ऊपर पहुंच चुकी है, और इन्हें कम करना उनकी प्राथमिकता होगी।
उन्होंने बताया कि विवाद निपटाने का प्रभावी माध्यम मीडिएशन है और यह आने वाले समय में गेम चेंजर साबित हो सकता है। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली के लैंड एक्विजिशन से जुड़े करीब 1,200 मामले उनके एक फैसले से निपट गए थे।
CJI सूर्यकांत 24 नवंबर को देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे। उन्होंने संकेत दिया है कि वे जल्द ही देशभर के हाई कोर्ट और ट्रायल कोर्ट से विस्तृत पेंडेंसी रिपोर्ट मंगवाएंगे। उन्होंने AI के बढ़ते उपयोग पर कहा कि यह न्यायिक संस्थानों के लिए बड़ा समाधान है, लेकिन इसके जोखिम समझकर ही इसका इस्तेमाल बढ़ाया जाना चाहिए।





