रायपुर। छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) कर्मचारियों की हड़ताल अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। 16 अगस्त से प्रदेशभर में हड़ताल कर रहे लगभग 16 हजार संविदा कर्मचारियों की सेवाओं पर संकट मंडरा रहा है।
देर रात स्वास्थ्य सचिव अमित कटारिया ने सभी जिलों के सीएमएचओ को सख्त निर्देश दिए कि जो कर्मचारी हड़ताल खत्म कर काम पर नहीं लौटते, उन्हें गुरुवार यानि आज ही व्यक्तिगत कानूनी आदेश के माध्यम से बर्खास्त कर दिया जाए। साथ ही सचिव ने जिलों को खाली हुए पदों की सूची तैयार करने और तत्काल भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश भी दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि भर्ती का कैलेंडर सख्ती से तय होगा और किसी भी हाल में स्वास्थ्य सेवाओं में व्यवधान नहीं आने दिया जाएगा।
सरकार के इस आदेश के बाद हड़ताली कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है। वहीं, एनएचएम कर्मचारियों ने सरकार के कड़े रुख का विरोध करने के लिए आज “जेल भरो आंदोलन” का ऐलान किया है। कर्मचारी संगठन का कहना है कि उनकी मुख्य मांगें—नियमितीकरण, वेतनमान और सेवा सुरक्षा—पूरी किए बिना आंदोलन समाप्त नहीं होगा।
हड़ताली कर्मचारियों ने प्रधानमंत्री को जन्मदिवस की शुभकामनाएं खून से लिखकर भी अपनी नाराजगी और आक्रोश व्यक्त किया है। कर्मचारियों का कहना है कि वे सरकार से सीधे संवाद चाहते हैं, लेकिन अब स्थिति ऐसी है कि उनकी नौकरी संकट में है।
स्वास्थ्य सचिव के आदेश के बाद प्रदेशभर में स्वास्थ्य सेवाओं के संचालन पर भी असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है। सरकारी अधिकारियों ने चेताया है कि यदि कर्मचारी समय पर कार्यस्थल पर नहीं लौटते हैं, तो बर्खास्तगी की कार्रवाई तुरंत लागू कर दी जाएगी। इस संघर्ष का असर न केवल कर्मचारियों पर बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और मरीजों की सुविधा पर भी पड़ सकता है। प्रदेश में 16 हजार संविदा NHM कर्मचारियों की हड़ताल और उनके बर्खास्त होने की संभावना ने स्वास्थ्य व्यवस्था और संविदा कर्मचारियों के भविष्य को लेकर चिंताएँ बढ़ा दी हैं।