घोटालेबाज अफसरों पर कार्रवाई का दोहरा रवैया: अभनपुर मुआवजा स्कैम में 2 अफसर निलंबित, किसानों का पैसा व्यापारियों को देने वाले SDM को मिल गई मलाईदार कुर्सी…

छत्तीसगढ़। छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक तंत्र पर सवाल खड़े करने वाला मामला सामने आया है। अरपा-भैंसाझाड़ नहर परियोजना के मुआवजा वितरण में भारी भ्रष्टाचार हुआ, लेकिन कार्रवाई के बजाय दोषी अफसरों को इनाम दे दिया गया।
इस मामले में बिलासपुर के कोटा क्षेत्र में नहर निर्माण के लिए किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई थी। परंतु जिन किसानों की जमीन ली गई, उन्हें मुआवजा नहीं मिला। उल्टा, कागजों में हेराफेरी कर एक व्यापारी को 3.42 करोड़ रुपये दे दिए गए। इस घोटाले में तत्कालीन एसडीएम आनंदस्वरूप तिवारी, पटवारी मुकेश साहू और अन्य 9 अधिकारी शामिल थे।
बिलासपुर कलेक्टर अवनीश शरण ने जांच में स्पष्ट किया कि एसडीएम तिवारी समेत 11 अधिकारी दोषी हैं और इनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होनी चाहिए। कमिश्नर ने भी इस सिफारिश को राजस्व विभाग को भेजा। लेकिन सवा साल बीतने के बावजूद कार्रवाई नहीं हुई। उल्टे आनंदस्वरूप तिवारी को बिलासपुर का आरटीओ बना दिया गया, जो एक मलाईदार पोस्ट मानी जाती है।
बड़ी बात यह है कि जब अभनपुर मुआवजा घोटाले में दो राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर दोषी पाए गए, तो उन्हें तत्काल सस्पेंड कर दिया गया। लेकिन अरपा-भैंसाझाड़ मामले में दोषी पाए जाने के बावजूद तिवारी और अन्य को बचा लिया गया। यह मामला बताता है कि छत्तीसगढ़ में एक ही जैसे मामलों में भी अलग-अलग मापदंड अपनाए जा रहे हैं। किसानों के हक को छीनने वाले अफसरों को सजा के बजाय पुरस्कार मिलना, पूरे सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े करता है।