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सरगुजा-अंबिकापुर

Ambikapur: सरकार बालू से निकाल रही तेल, इधर ग्रामीण बालू से बुझा रहे अपनी प्यास

शिव शंकर जायसवाल@अंबिकापुर। (Ambikapur) अक्सर आप गर्मी के दिनों में ग्रामीण इलाकों में पानी की समस्या की खबरें तो बहुत देखी होगी।लेकिन हम आपको आज बलरामपुर जिले के एक ऐसे गांव की तस्वीर दिखा रहे है। जहाँ पर ग्रामीण साल के बारहो महीने नदी का दूषित पानी पीने के लिए मजबूर है।

(Ambikapur) हैरानी की बात तो ये है कि जिस नदी का पानी ग्रामीण पीते है उसी नदी में मवेशी और जंगली जानवर भी अपनी प्यास बुझाते है, वहीँ शासन प्रशासन के विकास के लाख दावों की पोल खोल रही है इस गांव की ये तस्वीरें ।

(Ambikapur) जी हाँ हम बात कर रहे हैं बलरामपुर जिले में वाड्रफनगर विकासखंड के चर्चरी गांव के अगरिया पारा की जहाँ पर करीब 40 से 50 लोगो की आबादी है जिनके लिए पानी के निस्तारी का एक मात्र सहारा है गांव से बहने वाली नदी ,चर्चरी गांव के इस पारा में शाशन प्रशासन की अनदेखी के कारण आज ग्रामीण चाहे गर्मी हो या बरसात उनके लिए पानी का साधन सिर्फ नदी ही है ,ग्रामीण नदी में रोज गड्ढे बनाकर पानी निकालते है और उसी पानी को पीने के लिए मजबूर है ,नदी का दूषित पानी पीने से गांव के छोटे छोटे बच्चे अक्सर बीमार भी पड़ जाते है लेकिन ग्रामीणों के पास इसके अलाव दूसरा कोई सहारा भी नही है ,

ग्रामीणों कहना है कि नेता सिर्फ गांव में वोट मांगने के लिए ही आते है और इसके बाद उनको भुला दिया जाता है और प्रशासन सिर्फ खोखले वादे करती है, कुछ ग्रामीणों ने बताया कि उनकी तीन पीढियां नदी का ही पानी पीते आ रहे है इस दौरान कई सरकारे आई और चली गई लेकिन इन ग्रामीणों को पीने के साफ पानी के लिए एक हैंडपंप या कुआँ तक नशीब नही है ,वही मामले की जानकारी के बाद जनपद पंचायत के सीईओ का कहना है कि जल्द ही गांव में सर्वे कराकर ग्रामीणों को साफ पानी की ब्यवस्था की जाएगी ।

हम लोग बरन नदी का पानी पीते आ रहे है बरसात में नदी का लाल पानी पीते है और उसी से निस्तारी भी करते है, शाशन प्रशासन अगर हमें पीने के लिए साफ पानी की ब्यवस्था कर देती तो बहुत बड़ी कृपा हो जाती

 हमारी दो पुस्ते निकल गई नदी का पानी पीते पीते आज भी हम नदी का गंदा पानी पी रहे है ,हम लोग नदी में रोज गड्ढे खोदकर निकालते है और उसी से अपनी प्यास बुझाते हैं। हम लोग बरन नदी का पानी पी रहे है शासन प्रशासन कोई सुध लेने वाला नहीं है

 जिस नदी का पानी हम पी रहे है उसी नदी के पानी से मवेशी और जंगली जानवर भी अपनी प्यास बुझाते है लेकिन हमारी समस्या सुनने वाला कोई नही है

हमे काफी दूर से नदी में पानी भरने के लिए आना पड़ता है, नदी का पानी पीते पीते हमारी उमर बीत जा रही है लेकिन शासन प्रशासन हमारे पास सिर्फ चुनाव के समय ही पहुचती है )

 वेद प्रकाश पांडेय जनपद पंचायत सीईओ ( हमे इस बात की जानकारी नही थी कि वहाँ के ग्रामीण नदी का पानी पी रहे हैं ,ग्रामीणों को जल्द से स्वच्छ पानी के लिए हैंडपंप या फिर सामुदायिक कुँए की ब्यवस्था की जाएगी )

बहरहाल देखने वाली बात यह होगी कि सीईओ साहब का यह दावा कागजो तक ही सीमित रह पाएगा या फिर वाकई ग्रामीणों की किस्मत चमकने वाली है ,वाले आपने एक कहावत भी सुनी होगी कि रोज कुआँ खोदो और रोज पानी निकालो लेकिन ये कहावत इस गांव में चरितार्थ होती आपको दिख जाएगी ।

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