रायपुर. गोबर-गोमूत्र खरीदने के पैसे हैं- गरीब का घर बनाने के पैसे नहीं वाले बयान पर कांग्रेस ने रमन सिंह पर निशाना साधा है. कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि रमन सिंह को पहले यह बताना चाहिए की उन्हें गोधन न्याय योजना सेइतनी तकलीफ क्यों है? भारतीय जनता पार्टी जो अपने को भू- सरंक्षण नाम पर मॉब लिंचिंग और दंगे भड़काती थी. आज भू- सरंक्षण योजना चलाई जा रही है. तो उसमें उन्हें क्यों तकलीफ हो रही है. गोधन न्याय योजना ऐसी योजना है, जिससे किसी को भी नुकसान नहीं है. ना ही सरकार को नुकसान है. वर्मी कम्पोस्ट बेचने वालों को भी फायदा है. सिवाय भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख प्रधानमंत्री ने गोधन न्याय योजना की तारीफ की. रमन सिंह को फस्ट्रेसन है. 15 साल में रमन सिंह कुछ नहीं कर पाए. उन्हें भूपेश बघेल से दिक्कत है. इसलिए फस्ट्रेशन में बयान देते है.
जानिए रमन सिंह ने क्या कहा था
छत्तीसगढ़ सरकार गोबर और गोमूत्र की खरीदी पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। वहीं, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनने वाले घरों के लिए फंड देने में आनाकानी कर रही है। अब इस मामले को लेकर विपक्ष ने भूपेश सरकार को घेरा है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने ट्वीटर पर ट्वीट कर घेरा है. उन्होंने लिखा कि
ये कैसी सरकार है!
गोबर-गोमूत्र खरीदने पैसे हैं- गरीब का घर बनाने पैसे नहीं हैं
505 करोड़ के सीएम हाउस के प्रोजेक्ट्स के पैसे हैं- गरीबों के घर बनाने पैसे नहीं हैं।
हजारों करोड़ के विज्ञापनों के लिए पैसे हैं- गरीबों के घर के लिए पैसे नहीं हैं। सीएम भूपेश जी की “नीयत” खराब है!
जानिए क्या है पूरा मामला
केंद्रीय ग्रामीण विकास सचिव नागेंद्र नाथ सिन्हा ने एक अगस्त को छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव अमिताभ जैन को पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार राज्य में प्रधानमंत्री आवास योजना को लागू करने में अक्षम है तो केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय को अन्य केंद्र प्रयोजित योजनाओं के समर्थन पर पुनर्विचार के लिए कहा जाएगा। प्रदेश में ग्रामीण विकास मंत्रालय की मदद से प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना जैसी प्रमुख योजनाओं का काम हो रहा है।
वहीं, मीडिया ने मुख्य सचिव अमिताभ जैन से इस पत्र पर संपर्क करने की कोशिश की है लेकिन उन्होंने फोन और मैसेज का कोई जवाब नहीं दिया है। सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 7.8 लाख घरों के निर्माण का लक्ष्य रखा था। वहीं, सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार ने अपने हिस्से की राशि को देने में आनाकानी की तो ग्रामीण विकास मंत्रालय को टारगेट वापस लेना पड़ा है। इसके बाद वित्तीय वर्ष 2020-21 में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 6.4 लाख घरों के निर्माण का लक्ष्य आवंटित किया गया था, जिसमें से राज्य सरकार ने अपनी वित्तीय स्थिति का हवाला देते हुए 4.9 लाख घरों को सरेंडर कर दिया। राज्य ने केवल 1.5 लाख घरों के निर्माण का लक्ष्य रखा।