Video: परसा कोल ब्लॉक के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे ग्रामीण, राजनितिक पार्टियां भी आई समर्थन में

शिव शंकर साहनी@सरगुजा। जिले के परसा कोल ब्लॉक से दूसरे फेश से कोयला निकालने के लिए पेड़ों को काटने के आदेश के बाद लगातार ग्रामीण विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं..वही ग्रामीणों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए राजनीति पार्टियां भी ग्रामीणों के साथ खड़े है..इधर ग्रामीणों  ने फर्जी प्रस्ताव पारित करने का आरोप लगाया है..वही ग्रामीण सरकार और परसा कोल ब्लॉक के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंच गए है..जहा ग्रामीणों को विश्वास है की न्यायपालिका इस मामले में जल्द ही उन्हें स्टे दे देगी..

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सरगुजा जिले के उदयपुर ब्लॉक में ग्रामीण 2 महीनों से परसा कोल ब्लॉक को लेकर प्रदर्शन कर रहे है..जहां इन ग्रामीणों द्वारा महात्मा गांधी और भीमराव अंबेडकर की तस्वीर लगा कर लड़ेंगे जीतेंगे के नारे के साथ विरोध रहे है..दरअसल केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने परसा कोल ब्लॉक को पर्यावरण के लिए के लिए क्लियरेंस देने के बाद राज्य सरकार की भी अनुमति मिल गई है..जिससे लगभग क्षेत्र में चार लाख पचास हजार पेड़ काटे जाएंगे..इधर परसा कोल ब्लॉक क्षेत्र में आने वाले गांव आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र हैं और पेड़ काटे जाने से आदिवासियों के संस्कृति में प्रभाव पड़ेगा..वही आदिवासी जंगल के कई पेड़ो को अपने देवी-देवता के रूप में पूजते है..साथ ही जंगलों पर ही आदिवासी निर्भर है..जहा जंगलो में कई प्रकार के लघु वनउपज के पेड़ है..जिसका आदिवासी वर्ग उपयोग वर्ग लम्बे समय से करता आ रहा है.. 
परसा कोल ब्लॉक का विरोध कर रहे ग्रामीणों के समर्थन में राजनीति पार्टियां

इधर परसा कोल ब्लॉक का विरोध कर रहे ग्रामीणों के समर्थन में राजनीति पार्टिया भी पहुंच रहे हैं..भारतीय जनता पार्टी के एक कोर कमेटी ने ग्रामीणों से मुलाकात कर जंगल में 300 से अधिक काटे गए पेड़ों का भी निरीक्षण किया और आश्वासन दिया कि भारतीय जनता पार्टी ग्रामीणों के साथ खड़ी है..इधर छत्तीसगढ़ क्रांति सेना के प्रदेश अध्यक्ष सहित उनके कार्यकर्ता भी ग्राम परसा पहुंचे और ग्रामीणों से मुलाकात कर जंगलों का निरीक्षण किया साथ ही राज्य सरकार और केंद्र सरकार पर जमकर निशाना भी साधा और प्रदेश स्तरीय उग्र आंदोलन करने की चेतावनी भी दी..

कोल ब्लॉक के विरोध में आदिवासी ग्रामीण पीछे हटने को तैयार नहीं

बहरहाल कोल ब्लॉक के विरोध में आदिवासी ग्रामीण पीछे हटने को तैयार नहीं है..उनका कहना है कि सरकार और कंपनी उन्हें मार दे और उनके जल जंगल जमीन पर कब्जा कर ले.. लेकिन जीते जी वे अपने जल जंगल जमीन से पेड़ पौधों को काटने नहीं देंगे और ना ही कोयला निकालने देंगे..लिहाजा ग्रामीणों ने इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में फर्जी प्रस्ताव पारित करने का आरोप लगाते हुए अर्जी लगाई है..जहां इस मामले में 4 मई को हाईकोर्ट का फैसला सामने आएगा..इधर सरकार और प्रशासन से नाराज ग्रामीण अब हाईकर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं और उम्मीद है कि हाईकोर्ट इस मामले में स्टे दे देगी।

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