रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में आयोजित छत्तीसगढ़ राज्य वन्यजीव कल्याण बोर्ड की 15वीं बैठक में बताया गया कि पिछले तीन वर्षों में राज्य में बाघों की संख्या 17 से बढ़कर 35 हो गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वन्य प्राणियों का संरक्षण और संवर्धन हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है और इसके लिए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
उन्होंने बाघों की संख्या में हुई वृद्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि अब अन्य वन्यजीवों के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में भी ठोस प्रयास किए जाएंगे। जशपुर जिले के नीमगांव जैसे क्षेत्रों में प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के लिए विशेष कदम उठाने की आवश्यकता है। इससे न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
बोर्ड के उपाध्यक्ष एवं वनमंत्री केदार कश्यप ने कहा कि राज्य में बाघों के साथ अन्य वन्य प्राणियों के संरक्षण में भी सुधार हुआ है और उनके निवास स्थान में सुधार के प्रयास जारी हैं। सदस्य सचिव अरुण कुमार पांडेय ने बताया कि बाघों की सर्वाधिक संख्या अचानकमार टाइगर रिज़र्व में है और राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण की अनुमति से अन्य टाइगर रिज़र्व में ट्रांसलोकेशन कार्य जल्द पूरा किया जाएगा।
राजकीय पशु वनभैंसा और राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना के संरक्षण के लिए भी विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। “मैना मित्र” समूह का गठन किया गया है, जो मैना की निगरानी करता है। टाइगर रिज़र्व और कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में पर्यटकों के लिए सुविधाएं विकसित की जा रही हैं, जिससे ग्रामीणों को रोजगार मिलेगा और वन्यजीव संरक्षण में सहयोग बढ़ेगा।
बैठक में गश्ती मार्ग निर्माण, संरक्षित क्षेत्रों का युक्तियुक्तकरण, सड़क निर्माण, पाइपलाइन विस्तार और इंटरनेट सुविधा जैसी योजनाओं को भी स्वीकृति दी गई। इससे वन क्षेत्रों में निवासरत ग्रामीणों को डिजिटल सुविधाओं का लाभ मिलेगा और वन्यजीव संरक्षण कार्यों में तेजी आएगी। बैठक में विधायक, मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, अपर मुख्य सचिव वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, प्रधान मुख्य वन संरक्षक और अन्य विशेषज्ञ भी उपस्थित थे।