सुप्रीम कोर्ट ने रोहित तोमर की चार मामलों में गिरफ्तारी रोकी

रायपुर। सुप्रीम कोर्ट ने हिस्ट्रीशीटर रोहित तोमर पर पुरानी बस्ती थाना में दर्ज चार मामलों में गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।

ये मामले जून-जुलाई 2025 में दर्ज किए गए थे और आरोप है कि रोहित पीड़ितों को डराकर अधिक ब्याज वसूलता था। चारों ही FIR कॉमर्शियल लेन-देन से जुड़ी हैं और वैद्य साहूकारी लाइसेंस के आधार पर पैसा दिया गया था। एडवोकेट हिमांशु शर्मा ने कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी, जिसके बाद 19 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी पर रोक लगा दी।

हालांकि, रोहित पर दर्ज अन्य मामलों में कार्रवाई अभी भी संभव है। पुलिस के अनुसार, रोहित लगातार ठिकाने बदल रहा है और कुछ स्थानीय सहयोगी उसे मदद कर रहे हैं। 9 नवंबर को पुलिस ने उसके भाई वीरेंद्र तोमर को मध्यप्रदेश से गिरफ्तार कर रायपुर जेल भेजा, लेकिन पूछताछ में रोहित के ठिकाने की जानकारी नहीं मिली।

पिछले पांच महीनों में तोमर बंधुओं के खिलाफ 8 नए मामले दर्ज हुए। कुल मिलाकर दोनों भाइयों पर 16 से ज्यादा आपराधिक प्रकरण हैं, जिनमें मारपीट, धमकी, ब्लैकमेलिंग, अवैध वसूली और सूदखोरी शामिल हैं। पीड़ितों के खुलासे चौंकाने वाले हैं—नरेश सचदेवा ने 2.5 लाख लिए, 20 लाख लौटाए; गोपाल कुमार ने 2 लाख लिए, 28 लाख चुकाए; हरीश कछवाहा ने 3.5 लाख लिए, 50 लाख वापस किए; जयदीप बनर्जी ने 16 लाख लिए, 52 लाख वसूले।

रायपुर पुलिस ने पुराने मामलों की फिर से जांच शुरू कर दी है। वित्तीय लेन-देन पर निगरानी, मोबाइल लोकेशन और साइबर जांच जारी है। पुलिस आम लोगों और व्यापारियों के भय को दूर करने के लिए सहयोगियों और सपोर्ट नेटवर्क पर सघन नजर रख रही है। पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि रोहित तोमर के ठिकाने की कोई भी सूचना तुरंत नजदीकी थाने या क्राइम ब्रांच को दें। सूचना देने वाले की पहचान गोपनीय रखी जाएगी और 5,000 रुपए का इनाम भी मिलेगा।

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