सुप्रीम कोर्ट ने बच्चे की कस्टडी पिता को सौंपी, मां के आचरण पर कड़ी टिप्पणी

दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में बच्चे की अंतरिम कस्टडी पिता को सौंपने का आदेश देते हुए कहा कि मां ने भारत और ब्रिटेन दोनों की न्यायिक व्यवस्था को गुमराह किया है। जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की पीठ ने महिला के व्यवहार की निंदा करते हुए कहा कि यह केवल पति-पत्नी के बीच मतभेद नहीं, बल्कि बच्चों के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाला गंभीर विवाद है।

अदालत ने कहा कि नवंबर 2010 में विवाह के बाद पति-पत्नी के बीच बच्चों की परवरिश को लेकर असहमति गहराती गई, जिससे वैवाहिक संबंध बिगड़ गए और बच्चों पर प्रतिकूल असर पड़ा। इनमें से एक बच्चा मां के साथ ब्रिटेन में रह रहा है, जबकि दूसरा भारत में है।

पीठ ने टिप्पणी की कि महिला ने अपने बेटे को भारत में छोड़ते समय पिता को सूचित करने का कर्तव्य नहीं निभाया और ब्रिटेन की अदालत में यह तथ्य छिपाया कि बच्चा वहां उसके साथ नहीं है। पति ने बताया कि पत्नी मई 2021 में बिना जानकारी दिए ब्रिटेन चली गई और बाद में पता चला कि बच्चा भारत में ननिहाल में रह रहा है। इसके बाद उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

सुप्रीम कोर्ट ने 16 सितंबर को दिए फैसले में कहा कि पति और पत्नी दोनों ने ही अलग-अलग अदालतों से तलाक की मंजूरी प्राप्त की है और सुलह की सभी कोशिशें विफल हो चुकी हैं। ऐसे में हाई कोर्ट का बच्चे की कस्टडी पिता को देने का आदेश उचित है। अदालत ने चेतावनी दी कि अहंकार और अविवेक से बच्चों का भविष्य दांव पर न लगाया जाए।

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