रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार मौजूदा शराब नीति में बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है। सूत्रों के अनुसार, राज्य में फिर से ठेका पद्धति लागू करने के संकेत मिल रहे हैं। आबकारी विभाग ने नई नीति का प्रारंभिक मसौदा तैयार कर लिया है, जिस पर अब सरकार के स्तर पर चर्चा होगी। सहमति बनने के बाद इसे कैबिनेट में प्रस्तुत किया जाएगा।
दरअसल, विभाग 2024-25 में तय 11 हजार करोड़ के राजस्व लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाया। आय करीब 3 हजार करोड़ कम रही। इसके बावजूद इस साल 12,500 करोड़ रुपए का नया लक्ष्य रखा गया है। इस बढ़े हुए लक्ष्य को हासिल करने के लिए ही सरकार आबकारी नीति में बदलाव पर मंथन कर रही है।
अधिकारियों के अनुसार, 2026-27 के लिए नई नीति को अधिक पारदर्शी और व्यावहारिक बनाया जाएगा। इसके लिए आबकारी सचिव सह आयुक्त आर. संगीता के नेतृत्व में उद्योगों, लाइसेंस धारकों और बार संचालकों के साथ बैठकें की गई हैं।
2017 में लागू हुआ था सरकारी बिक्री सिस्टम
रमन सिंह सरकार ने 2017 में शराब की सरकारी बिक्री प्रणाली शुरू की थी। भूपेश सरकार ने इसे जारी रखते हुए एप के जरिए होम डिलीवरी सिस्टम भी शुरू किया। बावजूद इसके, सरकारी सिस्टम के तहत शराब की बिक्री से अपेक्षित राजस्व नहीं मिल सका।
ठेका पद्धति से बढ़ेगी प्रतिस्पर्धा और राजस्व
सूत्रों के अनुसार, ठेका पद्धति अपनाने से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिससे अवैध बिक्री पर नियंत्रण संभव है। लाइसेंस शुल्क और टैक्स से सरकार की कमाई भी बढ़ेगी।
विभाग ने उद्योग प्रतिनिधियों और कारोबारियों से सुझाव मांगे हैं, जिनमें लाइसेंस फीस, बॉटलिंग चार्ज, आयात-निर्यात शुल्क, और अवैध बिक्री पर रोक जैसे मुद्दे शामिल हैं। सरकार अब इन सुझावों के आधार पर नई आबकारी नीति को अंतिम रूप देने में जुटी है।
