रायपुर। छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग में एक जवान द्वारा महिला अधिकारी पर ट्रांसफर-पोस्टिंग के बदले पैसे मांगने का गंभीर आरोप लगाया गया है।
तीसरी बटालियन, अमलेश्वर के जवान नवदीप पांडे ने एक वीडियो जारी कर कमांडेंट मेघा टेम्भूरकर पर 60 हजार रुपए मांगने तथा पैसे न देने पर सिर्फ 6 महीनों में 4 बार ट्रांसफर करने का आरोप लगाया। नवदीप के अनुसार, लगातार तबादलों के कारण उनके परिवार पर भी असर पड़ा है।
उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी का पैर टूटा हुआ है और उन्हें घर व परिवार दोनों संभालने में कठिनाई हो रही है। इसके बावजूद उनके बार-बार दिए गए आवेदनों को स्वीकार नहीं किया गया और कंपनी कमांडर व हवलदार ने पावती देने से भी इनकार कर दिया।
जवान ने यह भी आरोप लगाया कि स्टेनो चंद्रशेखर तिवारी और कमांडेंट ने उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। नवदीप को छह महीने में महासमुंद, जशपुर, बस्तर और दुर्ग जैसी जगहों पर बार-बार भेजा गया। थककर उन्होंने मामला हाईकोर्ट में भी उठाया है।
वहीं दूसरी ओर, कमांडेंट मेघा टेम्भूरकर ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि नवदीप पांडे “डिफॉल्टर सिपाही” हैं और उनके खिलाफ विभागीय जांच पहले से चल रही है। पोस्टिंग से बचने और बस्तर जाने से इंकार करने के कारण वह ऐसे आरोप लगा रहे हैं।
इस पूरे मामले पर पुलिस कल्याण संघ के अध्यक्ष उज्जवल दीवान ने कहा कि यदि जवान ही सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे, तो आम जनता का क्या होगा।
उन्होंने पूछा कि क्या वाकई एक वरिष्ठ अधिकारी को इतनी कम आय होती है कि वह जवानों से पैसे लेकर ट्रांसफर करे? घटना ने पुलिस विभाग की कार्यशैली और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं और अब आगे विभागीय जांच का परिणाम अहम रहेगा।
