रायपुर। सहायक शिक्षक भर्ती 2023 को लेकर डीएड योग्य अभ्यर्थियों का आमरण अनशन अब गंभीर मोड़ पर पहुंच गया है।
24 दिसंबर से जारी आंदोलन के दौरान अब तक 10 अभ्यर्थियों की तबीयत बिगड़ चुकी है, जिन्हें अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। आंदोलनकारी न्यायालयीन आदेशों के पालन और शेष पदों पर शीघ्र नियुक्ति की मांग पर अड़े हुए हैं।
अभ्यर्थियों का कहना है कि सहायक शिक्षक भर्ती 2023 में करीब 2300 पद अब भी खाली हैं। इनमें से 1600 से अधिक पद अनुसूचित जनजाति वर्ग के बताए जा रहे हैं, लेकिन नियुक्ति नहीं होने से आदिवासी युवाओं में भारी नाराजगी है।
उनका आरोप है कि हाईकोर्ट बिलासपुर ने 2 अप्रैल 2024 और 26 सितंबर 2025 को, वहीं सुप्रीम कोर्ट ने 28 अगस्त 2024 को स्पष्ट आदेश दिया था कि प्राथमिक स्कूलों में बीएड अभ्यर्थी अयोग्य हैं और डीएड अभ्यर्थियों को मौका दिया जाए, इसके बावजूद सरकार ने अब तक आदेशों का पूर्ण पालन नहीं किया।
विधानसभा सत्र के दौरान 17 दिसंबर 2025 को विधायक रीकेस सेन द्वारा भर्ती पूरी होने की समयसीमा पूछे जाने पर शिक्षा मंत्री ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। इसके बाद अभ्यर्थियों का आक्रोश और बढ़ गया और उन्होंने आमरण अनशन का रास्ता अपनाया।
आंदोलनकारियों ने आरोप लगाया है कि जब राज्य के मुख्यमंत्री और देश की राष्ट्रपति आदिवासी समुदाय से हैं, तब भी छत्तीसगढ़ के आदिवासी युवाओं को शिक्षा और रोजगार के अधिकार से वंचित रखा जा रहा है। उन्होंने आंदोलन को पूरी तरह गैर-राजनीतिक बताते हुए कहा कि उनकी एकमात्र मांग सहायक शिक्षक भर्ती 2023 के शेष 2300 पदों पर तत्काल नियुक्ति है।
अभ्यर्थियों ने चेतावनी दी है कि यदि अनशन के दौरान किसी के साथ कोई अप्रिय घटना होती है, तो इसकी नैतिक और प्रशासनिक जिम्मेदारी शासन की होगी। उनका कहना है कि जब तक सभी न्यायालयीन आदेशों का पालन कर लंबित नियुक्तियां नहीं होतीं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
