चमोली। उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित बद्रीनाथ धाम के कपाट आज शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। दोपहर 2:56 बजे विशेष वैदिक अनुष्ठानों के साथ कपाट बंद होने से इस वर्ष की चारधाम यात्रा का समापन हो जाएगा। कपाट बंद होने के शुभ अवसर पर मंदिर को 12 क्विंटल गेंदे के फूलों से भव्य रूप से सजाया गया है। बीती रात से ही भक्तों का पहुंचना जारी है और सुबह तक करीब 8 हजार श्रद्धालु मंदिर परिसर में एकत्र हो चुके थे।
पिछले 205 दिनों में बद्रीनाथ धाम में इस वर्ष रिकॉर्ड 16 लाख 50 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। बद्री-केदार मंदिर समिति के अनुसार, कपाट बंद होने के बाद पूरे छह महीने तक भगवान बद्रीविशाल की शीतकालीन पूजा जोशीमठ के नरसिंह मंदिर में संपन्न होगी। इसी क्रम में 27 नवंबर को शंकराचार्य की गद्दी भी नरसिंह मंदिर पहुंचेगी।
कपाट बंदी के दौरान सबसे महत्वपूर्ण परंपरा घृत कंबल ओढ़ाने की है। यह पवित्र कंबल देश के अंतिम गांव माणा की कन्याएं तैयार करती हैं। भगवान बद्रीविशाल को यह कंबल ओढ़ाते ही कपाट बंद कर दिए जाते हैं। यह परंपरा सदियों पुरानी है और आने वाले वर्ष में कपाट खुलने पर यही कंबल तीर्थयात्रियों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है।
सुरक्षा व्यवस्था भी चाक- चौबंद है। लाल किले के पास हुए विस्फोट के बाद उत्तराखंड में हाई अलर्ट है। धाम में सेना, असम राइफल्स, बम स्क्वॉड और अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। वाहनों की सघन चेकिंग और संदिग्ध गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है।
21 नवंबर से शुरू हुई पंचपूजा की सभी प्रक्रियाएँ सोमवार तक पूरी हो चुकी हैं। आज अंतिम अनुष्ठान में रावल माता लक्ष्मी की सहेली का रूप धारण कर उन्हें गर्भगृह में स्थापित करेंगे। इसके बाद घृत कंबल ओढ़ाकर कपाट विधिवत बंद कर दिए जाएंगे।
