धमतरी

Teacher’s day special: बचपन से दोनो आंखें थी खराब, मगर हौसला है बुलंद, आज समाज के लिए बने मिसाल, पढ़िए इनकी कहानी

संदेश गुप्ता@धमतरी। ( Teacher’s day special) आज शिक्षक दिवस है। शिक्षक का दर्जा सबसे ऊपर है क्यों कि एक विद्यार्थी के जीवन में ज्ञान का अलख जगाने में शिक्षक का महत्वपूर्ण योगदान है। ऐसे ही एक शिक्षक है हरिशंकर खरे जो कि दिव्यांगता को अपने ऊपर कभी हावी नहीं होने दिया,और समाज के लिए एक मिसाल बन गए। वही बच्चे भी इनके पढाने के अंदाज से काफी खुश रहते हैं. प्रशासन भी इनके तारिफ करते नही थक रहे हैं.

जिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर नगरी इलाके  में हैं। जहां के माध्यमिक शाला मे शिक्षक के पद पर हरिशंकर खरे पदस्थ है। ये बच्चों को स्कूल मे समाजिक विज्ञान,हिन्दी और विज्ञान का विषय पढाते हैं। इस शिक्षक की खास बात ये है की ये दोनो आख से देख नही पाते। बावजूद इसके यह बच्चों को बेहद ही रोचक अंदाज मे पढाते हैं। बच्चे भी शिक्षक के पढाने के तरीके को काफी पसंद भी करते हैं। हरिशंकर खरे को अपनी दोनो आंखे नही होने का तनिक भी मलाल नही है। इनकी ये कमजोरी कभी भी इनके मंजिल के आगे रोडा नही बना। ना ही कभी इनका जज्बा और लगन कम हो पाया।

कई मुसीबतें आई मगर नहीं मानी हार

( Teacher’s day special)  दिव्यांग शिक्षक हरिशंकर खरे की माने तो जीवन के इस पड़ाव मे कई बार परेशानी और मुसीबते आई है। लेकिन इसके बाद भी इसने कभी भी हार नही मानी। इसके विपरित पहले के मुकाबले अपने पेशे और हुनर को तराशता रहा । जिससे बच्चो को पढने और समझाने मे दिक्कते ना हो। इनके पढाने का अंदाज भी कुछ अलग है। बच्चे पहले इसे पढकर सुनाते है। इसके बाद दिव्यांग शिक्षक बच्चों को बेहद रोचक अंदाज से समझाते हैं।

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डटकर करना चाहिए हर परिस्थतियों का सामना

शिक्षक हरिशंकर का कहना है की इंसान को हर परिस्थितियों का डटकर सामना करना चाहिए। ना की किसी परेशानी के चलते अपना पैर पीछे खीच लेना चाहिए। हरिशंकर खरे का एक आंख जन्म से ही खराब था और दूसरा उस वक्त खराब हुआ जब ये कक्षा आठवी मे पढ रहा था। इसके बावजूद इसने हार नही मानी और आगे की पढाई जारी रखा गया।

शिक्षक से लेकर बच्चे तक प्रभावित

( Teacher’s day special) इस दिव्यांग शिक्षक के पढाने के अंदाज से पूरे कर्मचारी और बच्चे भी काफी प्रभावित हुए हैं। बहुत असानी के साथ बच्चो को समझाते हैं। जिससे पढने वाले बच्चे असानी से समझ जाते हैं। स्कूल मे सभी लोग इनके हर काम मे मदद भी करते हैं।

जिससे हरिशंकर को ज्यादा परेशानी ना हो। वही बच्चे भी अपने इस शिक्षक के व्यवहार और पढाने के अंदाज से काफी खुश रहते हैं। जिला प्रशासन भी इस दिव्यांग शिक्षक के हौसले और जज्बे को सलाम करते नजर आ रहे हैं। शासन प्रशासन की ओर से हर संभव मदद करने की बात कह रहे हैं।

बहरहाल दिव्यांग शिक्षक हरिशंकर खरे पूरे शिक्षा जगत के लिये एक मिशाल बना हुआ है। दूसरे शिक्षको को भी इनके हौसले और जज्बे से सीख लेना चाहिए।

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