खैरागढ़। छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ जिले के विक्रमपुर पश्चिम वन परिक्षेत्र के घने जंगलों में आज एक दुखद घटना हुई। वन विभाग को कक्ष क्रमांक 215 में मादा भालू और उसके शावक के शव पड़े होने की सूचना मिली। जब स्थानीय ग्रामीणों ने मृत भालुओं को देखा, तो उन्होंने तुरंत वन विभाग को सूचित किया।
वन विभाग के अधिकारी, वन्यजीव विशेषज्ञ और पशु चिकित्सक घटनास्थल पर पहुंचे और जांच शुरू की। जांच में पाया गया कि भालू और उसके बच्चे के शरीर पर न कोई गहरी चोट थी, न ही संघर्ष के कोई निशान। इससे यह संभावना जताई गई कि उनकी मौत प्राकृतिक कारणों या आंतरिक बीमारी से हो सकती है।
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि जंगल में पानी की कमी या विषाक्त भोजन से ऐसी घटनाएं हो सकती हैं, खासकर गर्मी के मौसम में जब जलस्रोत कम हो जाते हैं। वन विभाग ने भालू और उसके शावक के शवों का दाह संस्कार किया, जिसमें डीएफओ आलोक कुमार तिवारी, वाइल्ड लाइफ वार्डन डॉ. मोना महेश्वरी और असिस्टेंट वेटनरी सर्जन ममता रात्रे भी मौजूद थीं।
वन विभाग ने बढ़ाई निगरानी
इस घटना के बाद, स्थानीय ग्रामीणों में डर का माहौल है, क्योंकि अगर भालू की मौत किसी बीमारी से हुई है, तो यह अन्य वन्यजीवों के लिए भी खतरा बन सकता है। वन विभाग ने आसपास के इलाकों में निगरानी बढ़ा दी है और अन्य वन्यजीवों की गतिविधियों पर ध्यान देने के लिए विशेष दल तैनात किए हैं। वन विभाग ने इस घटना की पूरी जांच का आश्वासन दिया है और कहा है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे।