शवों पर नंबर और नाम…..असद की क्रूरता….आवाजा उठाए तो….सुला दी मौत की नींद

शवों पर नंबर और नाम…..असद की क्रूरता….आवाजा उठाए तो….सुला दी मौत की नींद

नई दिल्ली। सीरिया 2011 के बाद से गृहयुद्ध का दंश झेल रहा हैं….तत्कालीन राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ शुरू हुआ विरोध कई उतार चढ़ाव से गुजरा….जिसके बाद कुछ ऐसा हाल हुआ कि…असद की सरकार खतरें में आ गई..लेकिन लड़ाई उस वक्त निर्णायक मोड़ पर आ गई. जब विद्रोहियों ने एक के बाद एक सीरियाई शहर पर कब्जा करते हुए राजधानी दमिश्क की ओर बढ़ते गए….इस विद्रोह का हाल कुछ ऐसा हुआ कि…24 साल की सत्ता छोड़कर राष्ट्रपति असद को अपना मुल्क तक छोड़ना पड़ा….जिसके बाद इस बात पर गौर किया गया कि…पिता के 29 साल के सत्ता के रिकॉर्ड को भी वो तोड़ नहीं पाए…इस बीच मानवाधिकार उल्लंघन के मामले भी सामने आए…इसके अलावा भी उन पर कई आरोप लगे…जिसमें रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल के साथ मुर्दों का दमन तक के आरोप इस लिस्ट में शामिल हैं….असद पर लगाए गए इन आरोपों को उन्होंने हमेशा नकारा है…हालांकि, हाल ही में एक नई रिपोर्ट सामने आई है, जो असद की ‘मौत की कोठरी’ के रूप में उनकी शासन शैली की भयावहता का खुलासा कर रही है….

दमिश्क के पास एक अस्पताल के मुर्दाघर में रखे शवों में टॉर्चर के निशान पाए गए हैं….उनके शवों पर नंबर और नाम लिखे हुए थे…इससे ये प्रतीत होता है कि… ये लोग असद सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले थे…हालांकि उससे पहले ही इन्हें मौत की नींद सुला दी गई…इन मौतों से यह खुलासा होता हैं कि…सत्ता में रहते वक्त असद ने कितनी क्रूरता भरी हरकते की हैं…जो निर्दोष लोगों का अपहरण कर…उन्हें यातनाएं देते थे…और फिर मार देते थे…आज मानवाधिकारी दिवस हैं…लेकिन असद के शासनकाल में सीरिया में मानवाधिकारों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन हुआ….

2011 के बाद सीरिया में असद की छवि

2011 का साल जिसके बाद अशद के खिलाफ सीरिया में विद्रोह तेज हो गया…अशद की सत्ता को उखाड़ फेकने के लिए सीरिया में विरोध बड़े स्तर तक फैल गया…घबराए असद को इसे कुचलने के लिए सेना का सहारा भी लेना पड़ा…इन गतिविधियों के बाद उनकी छवि तानाशाह और विद्रोहियों के रूप में उभरी….और देखते ही देखते सीरिया गृहयुद्ध के मुहाने पर जा पहुंचा…और देश में भारी हिंसा और अस्थिरता फैल गई….हालांकि बशर ने हमेशा इन विद्रोहों को एक विदेशी साजिश के रूप में खारिज किया, लेकिन उनका शासन संकटों में घिरता गया…यहीं नहीं अमेरिका ने सख्त कदम उठाते हुए… बशर और उनके करीबी सहयोगियों पर प्रतिबंध लगाए, और अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ता गया। वहीं, बशर की नजदीकियां रूस और ईरान से बढ़ने लगीं, जो उनके शासन के समर्थन में खड़े हुए…

दिलचस्प बात यह है कि सीरियाई सेना के कमांडर इन चीफ होने के बावजूद, बशर-अल-असद कभी भी सेना की वर्दी में नहीं दिखे। वे हमेशा एक बिजनेसमैन की तरह सूट पहनकर सार्वजनिक स्थानों पर नजर आए। 2000 में बशर ने ब्रिटिश नागरिक अजमा अखरास से शादी की और उनके दो बेटे और एक बेटी हैं। बशर पूरी तरह से अलावी मुस्लिम हैं और उन्होंने दो बार हज यात्रा भी की है।

2011 के बाद सीरिया में असद की छवि

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