लेह में सन्नाटा और भय का माहौल: स्थानीय बोले- हमारी संस्कृति मिटा रहे बाहरी, पर्यटन ठप, बाजार बंद

लेह। बौद्ध संस्कृति का शांतिपूर्ण शहर लेह इस बार अजीब सन्नाटे और भय के माहौल में है। मुख्य बाजार बंद हैं, सड़कें खाली हैं और हर 20 मीटर पर सुरक्षा जवान तैनात हैं। एयरपोर्ट से बाहर निकलते ही टैक्सी ड्राइवर रिंगजिंग ने कहा, “हमारे लेह को किसकी नजर लग गई।” उनका गला भर आया और चेहरे पर उदासी साफ दिख रही थी।

बीते 24 सितंबर को शहर में हिंसा हुई थी। प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी कार्यालय और CRPF वाहन में आग लगा दी थी। चार दिन से शहर में पर्यटक नहीं आए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि बाहरी लोग उनकी जमीनें खरीद रहे हैं और संस्कृति पर हमला हो रहा है। कर्फ्यू के चलते मुख्य बाजार और सड़कों पर भारी नियंत्रण है।

रिंगजिंग ने बताया कि इन दिनों दूध, अखबार और यातायात भी बंद था। चार दिन के कर्फ्यू में लोग घरों में कैद रहे। शनिवार को सिर्फ चार घंटे की ढील दी गई ताकि लोग जरूरत का सामान खरीद सकें।

स्थानीय गाइड सेरिंग फुनसॉक ने कहा कि डीजीपी जामवाल का पाकिस्तान कनेक्शन का आरोप गलत है। लेह के लोग हमेशा सेना का समर्थन करते हैं और देशभक्ति में विश्वास रखते हैं।

कर्फ्यू से फल और सब्जियों का भारी नुकसान हुआ है। मुस्ताक अहमद के मुताबिक, केवल उनकी दुकान का नुकसान 85 हजार रुपये हुआ। मुख्य बाजार के 150 दुकानदार इसी हालात का सामना कर रहे हैं।

पुलिस के अनुसार, हिंसा के पीछे कुछ कथित पर्यावरण कार्यकर्ताओं के भड़काऊ भाषण थे। 5-6 हजार लोगों की भीड़ ने सरकारी और राजनीतिक इमारतों पर हमला किया। नियंत्रण के लिए पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी, जिसमें चार लोगों की मौत हुई।

सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार किया गया है और जोधपुर जेल में थ्री लेयर सुरक्षा में रखा गया है। लेह के लोग अब भी डर और आर्थिक नुकसान से जूझ रहे हैं, और शहर में सामान्य जीवन बहाल नहीं हो सका है।

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