बच्चों को नैतिक शिक्षा देने श्रद्धा ने उठाया कदम… पढ़िए ये खास रिपोर्ट

अनिल गुप्ता@दुर्ग. आधुनिक युग में स्कूली पढ़ाई की अन्धाधुन्ध तेज रफ्तार और चकाचौंध भरी प्रतिस्पर्धात्मक शिक्षा पद्धति में नैतिक शिक्षा खो सी गई है या फिर मात्र सतही स्तर तक ही स्कूली बच्चों को इसकी जानकारी दी जाती है । सरकारी स्कूलों की बात करें तो नैतिक शिक्षा की जानकारी यदाकदा शासकीय एजेंसियों या फिर न्यायिक महकमे के द्वारा ही इसकी पूर्ति की जाती है । लेकिन भिलाई की एक महिला ने बच्चों तक इसे पहुँचाने दृढ़ संकल्पित होकर इसकी जिम्मेदारी उठाई है । पेश है एक ख़ास रिपोर्ट ।

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जिला दुर्ग की लौह नगरी से लगा लोकनगर उमरपोटी नाम का एक इलाका है। यहाँ की रहने वाली श्रद्धा साहू ने बच्चों तक नैतिक शिक्षा देने के काम को अपने जीवन का लक्ष्य बना रखा है । इस कार्य मे इनका साथ ग्रामीण क्षेत्र की कुछ महिलाएं भी देती हैं । महिलाओं की इस टोली ने निःस्वार्थ भाव से इसकी शुरुआत

शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मरोदा टैंक स्कूल से की । यहां प्राइमरी, मिडिल और हाई स्कूल के बालक व बालिकाओं को गुड टच बैड टच की बारीकियों से अवगत कराया। पॉक्सो कानून क्या है किशोर न्याय अधिनियम 2015 में निहित बालकों के अधिकार क्या होते हैं। बाल श्रम क्या है  दत्तक ग्रहण योजना और भिक्षावृत्ति के बारे में कानूनी जानकारी दी गई बर्तन बैंक व अन्य तरह के समाजसेवा कार्यों को भी यह टोली बख़ूबी अंजाम देती है । नारी सशक्तीकरण की दिशा में वे समाज में लंबे समय से कार्य कर रही है उमरपोटी सहित कई ग्राम पंचायतों में स्टील बर्तन बैंक की स्थापना की है। स्कूलों में जाकर बच्चों को मोटिवेशन कार्यशाला के माध्यम से उन्हे सुरक्षित रहने के उपाय भी बताती हैं ।

श्रद्धा को बाल कल्याण समिति दुर्ग का सदस्य भी बनाया गया है । शासकीय उच्चथर माध्यमिक विद्यालय मड़ौदा टैंक स्कूल में आयोजित कार्यशाला मे श्रद्धा साहू ने शिक्षकों से स्कूलों में बच्चों के सामने मोबाइल का कम उपयोग करने की अपील की। खासकर क्लास में मोबाइल बंद रखने पर जोर दिया ताकि बच्चे भी इससे सीख लें । उन्होने स्कूल से संबंधित सूचना बच्चों के पालकों को स्कूल में ही डायरी के माध्यम से पेरेंट्स तक पहुंचाने पर जोर दिया ।

प्रिंसिपल पी रमेश ने पालकों को किया आश्वस्त

मरोदा स्कूल के प्रिंसिपल पी रमेश ने पालकों को आश्वस्त किया कि बच्चों और उनके माता – पिता के लिए ऐसे कार्यशाला का आयोजन करते रहेंगे । चाइल्ड लाइन के कार्यकर्ताओं के साथ  बच्चों में बढ़ते नशे की प्रवृत्ति और उससे बचने के उपाय भी बताए । सिंगल यूज प्लास्टिक और इसे रोकने के लिए स्कूली बच्चों की भूमिकाएं पर महत्वपूर्ण बातें भी कार्यशाला में बताई गई ।

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