नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह उस वीडियो से बेहद परेशान है जो सामने आया है जिसमें दो आदिवासी महिलाओं को नग्न परेड करते और उनके साथ छेड़छाड़ करते हुए देखा गया था, भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि यह बिल्कुल अस्वीकार्य है और महिलाओं को हिंसा में एक साधन के रूप में इस्तेमाल करना अस्वीकार्य है। अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार और राज्य सरकार से आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को कहा है, यहां भी चेतावनी दी है कि यदि सरकार कार्रवाई नहीं करेगी तो सुप्रीम कोर्ट खुद इस मामले में कार्रवाई करेगा, इस मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई शुक्रवार हो की जाएगी।
कोर्ट ने कहा, सरकार ने आपराधियों पर क्या कार्रवाई की मांगा जवाब
पीठ ने कहा कि उसे सरकारों द्वारा उठाए गए कदमों से अवगत कराया जाना चाहिए ताकि अपराधियों पर ऐसी हिंसा के लिए मामला दर्ज किया जा सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। पीठ ने कहा कि वीडियो मई महीने का हो सकता है, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।मीडिया में जो दिखाया गया है और जो दृश्य सामने आए हैं, वे गंभीर संवैधानिक उल्लंघन और महिलाओं को हिंसा के साधन के रूप में उपयोग करके मानव जीवन का उल्लंघन दर्शाते हैं, जो संवैधानिक लोकतंत्र के खिलाफ है। केंद्र और राज्य को उठाए गए कदमों से अदालत को अवगत कराएं, शीर्ष अदालत ने आदेश दिया।मेहता ने कहा, राज्य सरकार भी इस घटना से बेहद चिंतित हैकेंद्र और मणिपुर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी घटना की निंदा करते हुए कहा, यह अस्वीकार्य है।मेहता ने कहा, सरकार भी इस घटना से बेहद चिंतित है। ऐसी घटनाएं पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं। शीर्ष अदालत ने मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसा से संबंधित मामलों को जब्त कर लिया है।