नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मृतक कांग्रेस नेता एहसान जाफरी की विधवा जकिया जाफरी द्वारा दायर एक याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें विशेष जांच दल द्वारा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और 63 अन्य को हिंसा में उनकी कथित भूमिका के लिए क्लीन चिट पर सवाल उठाया गया था।
एहसान जाफरी 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद में गुलबर्ग सोसाइटी में हुई हिंसा के दौरान मारे गए थे।
अदालत ने गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ जकिया जाफरी द्वारा दायर एक याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था, जिसमें एसआईटी के फैसले के खिलाफ उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी, पीएम नरेंद्र को क्लीन चिट दे दी थी, जो 2002 में गुजरात के सीएम थे, और पिछले दिसंबर में 63 अन्य लोगों को क्लीन चिट दे दी थी।
एसआईटी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पीठ से कहा कि सुप्रीम कोर्ट को जाफरी की याचिका पर निचली अदालत और गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले का समर्थन करना चाहिए अन्यथा यह एक अंतहीन कवायद होगी जो सामाजिक कारणों से चल सकती है। एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़, जो याचिका में याचिकाकर्ता नंबर 2 हैं।
जकिया जाफरी की ओर से पेश हुए कपिल सिब्बल ने शीर्ष अदालत को बताया कि एसआईटी ने जांच नहीं की, लेकिन एक सहयोगी अभ्यास किया और इसकी जांच साजिशकर्ताओं को बचाने के लिए चूक से भरी हुई थी। उन्होंने यह भी कहा कि एसआईटी के अधिकारियों के साथ-साथ पुलिस को भी “खूबसूरत इनाम” दिया गया था।