दिल्ली। साल 2024-25 में भाजपा को इलेक्टोरल ट्रस्ट के माध्यम से कुल 959 करोड़ चंदा मिला, जो कांग्रेस को मिले 517 करोड़ में से ₹313 करोड़ से लगभग तीन गुना अधिक है।
चुनाव आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, तृणमूल कांग्रेस को कुल 184.5 करोड़ प्राप्त हुए, जिनमें 153 करोड़ ट्रस्ट के माध्यम से आए।
इलेक्टोरल ट्रस्ट एक रजिस्टर्ड संस्था है, जो राजनीतिक दलों तक पारदर्शी तरीके से चंदा पहुंचाने का काम करती है। कंपनियां सीधे राजनीतिक दलों को दान नहीं देतीं, इसलिए ट्रस्टों का सहारा लिया जाता है।
भाजपा को सबसे अधिक चंदा टाटा समूह के प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट (PET) से मिला। फरवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड खत्म होने के बावजूद पार्टी की फंडिंग प्रभावित नहीं हुई।
PET से भाजपा को 757.6 करोड़, न्यू डेमोक्रेटिक ट्रस्ट से 150 करोड़, हार्मनी ट्रस्ट से 30.1 करोड़ और अन्य ट्रस्टों से 31.25 लाख रुपए प्राप्त हुए। कांग्रेस को प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट से 216.33 करोड़, एबी जनरल ट्रस्ट से 15 करोड़, न्यू डेमोक्रेटिक ट्रस्ट से 5 करोड़ और जन कल्याण ट्रस्ट से 9.5 लाख रुपए मिले।
टाटा समूह ने कुल 914 करोड़ रुपए 10 राजनीतिक पार्टियों को वितरित किए। इसमें भाजपा को सबसे बड़ा हिस्सा 757 करोड़ (83%) मिला। कांग्रेस को 77.3 करोड़, तृणमूल, वाईएसआर कांग्रेस, शिवसेना, बीजद, बीआरएस, लोजपा, जदयू और डीएमके को 10-10 करोड़ रुपए दिए गए। PET को यह राशि टाटा समूह की 15 कंपनियों से प्राप्त हुई, जिसमें टाटा संस ने 308 करोड़, टीसीएस ने 217 करोड़ और टाटा स्टील ने 173 करोड़ दिए।
इलेक्टोरल बॉन्ड 2018 में शुरू हुए थे, लेकिन फरवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें पारदर्शिता की कमी के कारण रद्द कर दिया। इसके बाद ट्रस्ट मुख्य फंडिंग स्रोत बन गए। ट्रस्ट 2013 से कंपनी एक्ट, आयकर कानून और चुनाव आयोग की गाइडलाइन के तहत नियंत्रित होते हैं। ट्रस्ट को कम से कम 95% राशि साल के भीतर पार्टियों को वितरित करनी होती है।
