नई दिल्ली। खुदरा महंगाई भारतीय रिजर्व बैंक के दायरे की सीमा को पार कर चुकी है और 14 महीने बाद 6.21 फीसदी पर पहुंच चुकी है. जबकि RBI की महंगाई का दायरा 6 फीसदी है. भारतीय रिजर्व बैंक की कोशिश रहती है कि महंगाई दर 6 फीसदी के नीचे ही बना रहे, लेकिन ताजा आंकड़े ने ये सीमा पार कर दी है.
भारत की खुदरा महंगाई दर अक्टूबर में बढ़कर 6.21% वार्षिक हो गई, जो पिछले महीने 5.49% थी. ऐसा माना जा रहा है कि त्यौहारी सीजन में हाई फूड प्राइस के कारण महंगाई दर में इजाफा हुआ है. अगस्त 2023 के बाद यह पहली बार था जब महंगाई भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की 6% की सहनीय सीमा को पार कर गई. सितंबर में मुद्रास्फीति जुलाई के बाद पहली बार RBI के मध्यम अवधि के लक्ष्य 4% को पार कर गई, जो 5.49% तक पहुंच गई थी. यानी कि महंगाई में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है, जो आम लोगों की जेब पर असर डाल रहा है.
फूड इन्फ्लेशन में इतनी बढ़ोतरी
अक्टूबर में फूड इन्फ्लेशन बढ़कर 9.69% हो गई, जो सितंबर में 9.24% थी. ग्रामीण महंगाई भी सितंबर में 5.87% की तुलना में बढ़कर 6.68% हो गई, जबकि शहरी महंगाई पिछले महीने 5.05% से बढ़कर 5.62% हो गई. ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई के आंकड़े 6.68 फीसदी और शहरी क्षेत्रों में 5.62 फीसदी दर्ज किए गए. ग्रामीण इलाकों में खाद्य महंगाई 10.69 फीसदी और शहरी इलाकों में 11.09 फीसदी रही.
इन चीजों की वजह से बढ़ी महंगाई
खाद्य पदार्थों की कीमतों में उछाल मुख्य रूप से सब्जियों, फलों और तेल जैसी आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि के कारण हुआ. उल्लेखनीय है कि टमाटर, प्याज और आलू की कीमतें पूरे महीने ऊंची बनी रहीं. इसके विपरीत, दालों, अंडें, चीनी और मसालों के दाम में कमी आई है. अक्टूबर में प्याज की कीमतों में आई तेज वृद्धि चिंताजनक है. थोक प्याज की कीमतें 40-60 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 70-80 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है.