प्रदेश के 6 विश्वविद्यालयों में शुरू होगा रक्षक पाठ्यक्रम

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की उपस्थिति में छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग और प्रदेश के छह विश्वविद्यालयों के बीच रक्षक पाठ्यक्रम के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। यह पाठ्यक्रम इन विश्वविद्यालयों में लागू होगा और छात्रों को बाल अधिकार संरक्षण के क्षेत्र में विशेषज्ञता विकसित करने का अवसर देगा।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि रक्षक पाठ्यक्रम युवाओं के सुरक्षित और जिम्मेदार भविष्य के निर्माण में अहम भूमिका निभाएगा। यह न केवल रोजगार के अवसर प्रदान करेगा, बल्कि बाल अधिकार संरक्षण के क्षेत्र में गहन ज्ञान और कौशल भी सिखाएगा। महिला व बाल विकास मंत्री लक्ष्मी रजवाड़े ने कहा कि बच्चों से भिक्षावृत्ति कराना, परित्यक्त बच्चों का पुनर्वास और संवेदनशील मामलों का समाधान जैसे चुनौतीपूर्ण मुद्दों पर काम करने के लिए इस पाठ्यक्रम के माध्यम से सजग और सेवा-भावयुक्त युवा तैयार होंगे।

उच्च शिक्षा मंत्री टंक राम वर्मा ने कहा कि यह छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का विषय है। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. वर्णिका शर्मा, संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय सरगुजा के कुलपति प्रो. राजेंद्र लाकपाले, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर से कुलसचिव प्रो. शैलेंद्र पटेल सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

क्या है रक्षक पाठ्यक्रम
रक्षक पाठ्यक्रम बाल अधिकार संरक्षण पर आधारित एक वर्षीय स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम है। इसमें युवाओं को सैद्धांतिक और विधिक ज्ञान, विभागीय योजनाओं, संस्थाओं और प्रायोगिक प्रक्रियाओं की जानकारी दी जाएगी। छात्रों को बाल संरक्षण इकाइयों और अन्य संबंधित क्षेत्रों में प्रशिक्षण और मार्गदर्शन भी मिलेगा।

पीजी डिप्लोमा इन चाइल्ड राइट्स एंड प्रोटेक्शन पाठ्यक्रम पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, आंजनेय विश्वविद्यालय, एमिटी विश्वविद्यालय और श्रीशंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में संचालित होगा। आयोग पाठ्यक्रम के संचालन, प्रशिक्षण, परामर्श और मार्गदर्शन में मदद करेगा।

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