ललित सिंह ठाकुर@राजनांदगांव। (Rajnandgaon) जिले के डोंगरगांव के एक चिकित्सक द्वारा पर्ची में मरीजों का नाम- पता लिखे बिना प्रतिबंधित दवाइयां लिखने के मामले में फार्मेसिस्ट की शिकायत पर जांच कार्रवाई की गई और चिकित्सक की डिग्रियां छत्तीसगढ़ में मान्य नहीं होना बताया गया।
(Rajnandgaon) डोंगरगांव क्षेत्र के डॉ रतन कुमार मंडल द्वारा प्रतिबंधित दवाइयां मरीजों को लिखे जाने के मामले की शिकायत विजय श्री मेडिकल स्टोर के संचालक फार्मेसिस्ट हरिशंकर साहू ने कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक , मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी, एसडीएम और थाना प्रभारी को की थी। बीते 4 मई को की गई शिकायत में शिकायतकर्ता हरिशंकर साहू ने कहा कि डोंगरगांव निवासी डॉ रतन कुमार मंडल सिनेमा लाइन स्थित अपने निवास में क्लीनिक संचालित करते हैं और वहां अपने मरीजों को प्रतिबंधित दवाइयों की पर्ची लिख कर देते हैं, जो इन दवाइयों को लिखने में पात्रता नहीं रखते हैं। वही अपनी पर्ची में रोगी का नाम- पता भी नहीं लिखते हैं , जो मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के खिलाफ है और कानूनन अपराध है। इनके खिलाफ कई बार कार्रवाई हुई फिर भी वह अपनी क्लीनिक संचालित कर रहे हैं।
(Rajnandgaon) शिकायतकर्ता हरिशंकर साहू ने कथित डॉ रतन कुमार मंडल की डिग्री की जांच करने की मांग भी की थी , जिस पर कार्यालय खंड चिकित्सा अधिकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र डोंगरगांव द्वारा मामले की जांच की गई। बीते 15 जून को खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ एसके बंसल ने अपनी जांच प्रतिवेदन में एसडीएम को लिखा कि जांच में डॉ रतन कुमार मंडल द्वारा दिए गए दस्तावेजों में उनके पास वैद्य विशारद प्रमाण पत्र की उपाधि है, जो कि छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल के तहत अधिकृत नहीं है। वहीं डॉ रतन कुमार मंडल द्वारा प्रस्तुत मध्य प्रदेश आयुर्वेदिक तथा यूनानी चिकित्सा पद्धति एवं प्राकृतिक चिकित्सा बोर्ड भोपाल रजिस्ट्रीकरण का प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया गया है, जो प्रथम दृष्टया छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल में मान्य नहीं है। वहीं आयुर्वेद रत्न की उपाधि भी मान्य नहीं है। बीएमओ ने अपने प्रतिवेदन में कहा है कि मेडिकल विशेषज्ञों द्वारा लिखे जाने वाली दवाइयां इन्हें मरीजों को लिखने की पात्रता नियमानुसार नहीं है।
इस मामले में डॉ रतन कुमार मंडल ने कहा कि वह बीते 30 वर्षों से यहां आयुर्वेदिक पद्धति से प्रैक्टिस कर रहे हैं और उनके ऊपर की गई शिकायत के जवाब में उन्होंने अपने कागजात उपलब्ध करा दिए हैं।
मामले की जांच में यह बात सामने आई है कि पूर्व में भी रतन कुमार मंडल के क्लीनिक में छापामार कार्रवाई कर क्लीनिक सील कर दिया गया था, लेकिन क्लीनिक और निवास एक ही जगह में होने की वजह से सील खोल दिया गया। बहराल कोरोना काल में मेडिकल विशेषज्ञ द्वारा लिखे जाने वाली दवाइयां अगर ऐसे डिग्री धारी डॉक्टर लिखेंगे तो मरीजों की जान पर भी बना सकती है। समय रहते इस मामले में संबंधित विभाग को उचित कार्रवाई करने की जरूरत है, ताकि लोगों की जान से खिलवाड़ ना हो।