नई दिल्ली। देश में ब्रिटिश काल की आखिरी रेलवे की निशानी, शकुंतला रेलवे, अब इतिहास बनने जा रही है। भारतीय रेलवे ब्रिटिश कंपनी क्लिक-निक्सन द्वारा बनाए गए शकुंतला रेलवे का अधिग्रहण करने जा रही है। यह रेलवे ट्रैक अब भी सेंट्रल प्रोविंसेस रेलवे कंपनी (सीपीआरसी) के स्वामित्व में है, जो इस ट्रैक को चलाती है।
शकुंतला रेलवे का ट्रैक 1916 में महाराष्ट्र के यवतमाल से अचलपुर के बीच 188 किमी लंबा बनाया गया था। इस रूट पर कॉटन बेल्ट के लिए मालगाड़ियां और पैसेंजर ट्रेनें चलती थीं, जिनमें एक थी ‘शकुंतला एक्सप्रेस’, जिसके बाद इसे शकुंतला रेलवे नाम मिला। 1952 में भारतीय रेलवे का राष्ट्रीयकरण हुआ, लेकिन यह ट्रैक सीपीआरसी के पास बना रहा।
अधिग्रहण करके ब्रॉडगेज में बदला जाएगा
2016 में इस नैरोगेज ट्रैक को ब्रॉडगेज में बदलने की योजना बनाई गई थी। इसके बाद जुलाई 2017 में यवतमाल-मुर्तिजापुर और अप्रैल 2019 में मुर्तिजापुर-अचलपुर खंड पर ट्रेन सेवा को रद्द कर दिया गया था। अब, इस ट्रैक को अधिग्रहण कर ब्रॉडगेज में बदला जाएगा।
दिलचस्प बात यह है कि भारतीय रेलवे आज भी सीपीआरसी को हर साल 2 से 3 करोड़ रुपए की रॉयल्टी देती है। 1947 में जब भारत आज़ाद हुआ था, तो इस कंपनी के साथ एक समझौता किया गया था, जिसके तहत रॉयल्टी दी जा रही है। हालांकि, सीपीआरसी अब 12-16 करोड़ रॉयल्टी की दावेदारी कर रही है, लेकिन भारतीय रेलवे इसे ट्रैक मेंटेनेंस जैसी अन्य लागतों से समायोजित कर सकती है।
2025-26 अधिग्रहण होने की उम्मीद
इस अधिग्रहण प्रक्रिया को 2025-26 तक पूरा किए जाने की उम्मीद है। इसके बाद शकुंतला रेलवे का ट्रैक पूरी तरह भारतीय रेलवे के स्वामित्व में आ जाएगा और इसे ब्रॉडगेज में बदल दिया जाएगा।