Raigarh: कोरोना काल मे हुआ फर्जी डाटा का खेल… ना इलाज ना ही दवाई और वृद्धजनों का भेज दिया गया डाटा

रायगढ़। (Raigarh) जिले के बरमकेला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत आने वाले उप स्वास्थ्य केंद्र कटंगपाली इन दिनों सुर्खियों में रहा और सुर्खियों में रहने की वजह है यहां पर पदस्थ यहां के सीएचओ . जो ना तो समय पर अस्पताल में मिलते हैं ना ही समय पर मरीजों का इलाज यहां की स्वास्थ सुविधाओं की बात की जाए तो यहां का हाल बेहाल है.

दरअसल में सरकार स्वास्थ्य विभाग को बढ़ावा देने के लिए उप स्वास्थ्य केंद्र प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को अब हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर में तब्दील कर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को दुरुस्त करने के लिए प्रयास तो कर रही हैं साथ ही साथ नर्सिग के छात्र छात्राओं को ब्रिज कोर्स कराकर उन्हें सी एचओके पद पर पदस्थ भी कर रहे हैं . (Raigarh) जो ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीणों की स्वास्थ्य की देखभाल करें लेकिन यह पर पदस्थ सीएचओ साहिबा ना तो समय पर ड्यूटी आती हैं ना ही ढंग से मरीजों का इलाज करती हैं।

अधिकतर यहां के अस्पताल में आपको ताला लटकता नजर आएगा वही कभी-कभार अगर सी एच ओ साहिबा मरीजों को देख भी लें तो वहां पर सरकारी सिस्टम से नहीं बल्कि अपने सिस्टम से इलाज करती नजर आती है मरीजों ने यह भी आरोप लगा दिया कि यहां पर सरकारी दवाई से ज्यादा साहिबा अपने घर के मेडिकल स्टोर में दवाई खरीदने के लिए मरीजों को जोर देती भी नजर आती हैं.

कोरोना काल के दौरान वृद्धजनों के इलाज का फर्जी डाटा

आपको बता दें कि सरकार कोरोना काल के दौरान 60 वर्ष से अधिक उम्र के वृद्धजनों को घर से बाहर नहीं जाने की सलाह दे रहे थे साथ ही साथ उनके उपचार के लिए सी एच ओ को उनके घर जाकर उनका इलाज करना होता था लेकिन अगस्त सितंबर माह में वृद्धजनों का उपचार का जो डाटा स्वास्थ्य विभाग को भेजा गया वह पूरी तरीके से फर्जी था ना तो 60 वर्ष से अधिक उम्र के मरीजों का घर पहुंच इलाज हुआ था ना ही उन्हें किसी भी प्रकार की दवाइयां दी गई थी और इस तरीके से फर्जी डाटा भेजकर सरकार के योजनाओं पर पलीता लगाते हुए ग्रामीणों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ का धोखाधड़ी देखने को मिला.

मरीजों को निजी दवाई दुकान से दवाई खरीदने को मजबूर

आपको बता दें कि सरकारी अस्पताल में मिलने वाली दवाइयां जिसे ना देकर बल्कि बोन्दा में स्थित एक निजी मेडिकल स्टोर से दवाई खरीदने के लिए मरीजों को मजबूर किया जा रहा है ऐसे में मरीजों को अपनी जेब भी ढीली करनी पड़ रही हैं. लेकिन स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार कुम्भकर्णी  नींद में सोए हैं खामियाजा ग्रामीणों को अपनी जेब ढीली करनी पड़ रही है.

वही जब मामले को लेकर मीडिया के टीम ने सी एच ओ सविता डनसेना  से टेलीफोन के माध्यम से उनका पक्ष जानने के लिए संपर्क किया तो उनके द्वारा फोन को रिसीव नहीं किया गया.

आखिर संरक्षण किसका आखिर कौन दे रहा है बढ़ावा

वही मामले को लेकर लगातार मीडिया में आने के बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों द्वारा अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई वहीं फर्जी डाटा मामला सामने के आने के बाद आला अधिकारी क्या कार्यवाही करते हैं यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा या फिर वही ढाक के तीन पात.

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