दिल्ली। केंद्र सरकार दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए लोकसभा सांसदों से हस्ताक्षर लिए जा रहे हैं। खबरों के मुताबिक, कई सांसदों ने पहले ही दस्तखत कर दिए हैं। 21 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र में यह प्रस्ताव पेश किया जा सकता है। लोकसभा में महाभियोग के लिए 100 सांसदों और राज्यसभा में 50 सांसदों के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं।
यह कदम उस विवादास्पद मामले के बाद उठाया गया जिसमें जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित सरकारी आवास के स्टोर रूम में आग लगने के बाद बड़ी मात्रा में 500-500 रुपए के जले नोट मिले थे। घटना 14 मार्च की रात की है। इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन जजों की कमेटी ने की, जिसकी 64 पन्नों की रिपोर्ट 19 जून को सामने आई।
जले नोट देखने की चश्मदीदों ने की पुष्टि
रिपोर्ट के मुताबिक, स्टोर रूम पर वर्मा और उनके परिवार का पूर्ण नियंत्रण था। 10 चश्मदीदों ने जले नोट देखने की पुष्टि की है, जिनमें फायर सर्विस और पुलिस के अधिकारी शामिल हैं। इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य और गवाहों के बयान इस घटना की पुष्टि करते हैं। जस्टिस वर्मा के दो घरेलू कर्मचारियों ने भी स्टोर रूम से जले नोट निकालने की बात मानी। वायरल वीडियो से उनकी आवाज का मिलान भी हो गया है।
बेटी ने जांच में दी गलत जानकारी
जस्टिस वर्मा की बेटी दीया ने जांच में गलत जानकारी दी और कर्मचारियों की पहचान से इनकार किया, जबकि सुरक्षा की कड़ी निगरानी के चलते किसी बाहरी व्यक्ति का स्टोर रूम तक पहुंचना संभव नहीं था। वर्मा ने न तो पुलिस में कोई रिपोर्ट की और न ही कैश की कोई वैध जानकारी दी। उल्टा उन्होंने खुद को साजिश का शिकार बताया।
जांच पैनल ने सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंपने के बाद तत्कालीन CJI संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को रिपोर्ट भेजी और वर्मा के खिलाफ महाभियोग की सिफारिश की। अगर वर्मा स्वेच्छा से इस्तीफा नहीं देते, तो सरकार मानसून सत्र में उन्हें हटाने का प्रस्ताव संसद में ला सकती है।