बालोद। बालोद जिले के पिकरीपार गांव ने पंचायत चुनाव के महंगे प्रचार प्रसार से बचने का एक अनोखा तरीका अपनाया है। यहां पिछले दो पंचवर्षीय कार्यकालों से बिना चुनाव के सरपंच चुने जा रहे हैं और इसमें महिलाओं को विशेष मौका दिया गया है। गांव में आपसी सामंजस्य और भाईचारे की मिसाल पेश करते हुए, ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव पर खर्च होने वाली राशि को विकास कार्यों में लगाया जाता है, जिससे गांव का विकास भी होता है और आपसी विवाद भी नहीं होते।
गांव में हर बार बारी-बारी से सरपंच बनने का अवसर दिया जाता है और इस बार पंचशीला साहू को सरपंच बनाया गया है। इससे पहले चंदा साहू को सरपंच बनाया गया था, जिनका कार्यकाल भी बहुत अच्छा रहा था। ग्रामीणों ने बताया कि चुनाव के खर्चे को बचाकर विकास कार्यों पर खर्च किया जाता है, जिससे गांव की छोटी-छोटी समस्याओं का समाधान होता है। गांव के वरिष्ठ नागरिक श्यामलाल साहू बताते हैं कि वे बैठक करके सबकी सहमति से निर्णय लेते हैं और इस व्यवस्था से सभी को मौका मिलता है। इस गांव की परंपरा पूरे जिले में चर्चा का विषय बन चुकी है। यहां लोकतंत्र को बढ़ावा दिया जाता है और विकास, सामंजस्य, और भाईचारे पर जोर दिया जाता है।