दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने घोषणा की है कि सत्र 2026-27 से 11वीं और 12वीं कक्षा के लीगल स्टडीज पाठ्यक्रम में व्यापक बदलाव होंगे। अब छात्रों को पुराने औपनिवेशिक कानूनों की बजाय भारत के नए आपराधिक कानून, महत्वपूर्ण अदालती फैसले और आधुनिक कानूनी सिद्धांत पढ़ाए जाएंगे, जिससे वे वर्तमान न्याय व्यवस्था से बेहतर तरीके से जुड़ सकेंगे।
पुराने कानून अब इतिहास
धारा 377, ट्रिपल तलाक और देशद्रोह जैसे अप्रासंगिक हो चुके कानूनों को पाठ्यक्रम से हटाया जाएगा। इनकी जगह मौजूदा कानूनी ढांचा और हाल के सुधार शामिल होंगे। यह प्रस्ताव पाठ्यक्रम समिति ने तैयार किया था, जिसे जून में बोर्ड की गवर्निंग बॉडी ने मंजूरी दी।
नए भारतीय कानून होंगे शामिल
2023-24 में भारतीय न्याय प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव हुए। IPC, CrPC और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह अब भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) लागू हुए हैं। छात्र अब इन्हीं नए कानूनों का अध्ययन करेंगे।
बदलाव की जरूरत क्यों
CBSE ने 2013-14 में लीगल स्टडीज की शुरुआत की थी। एक दशक में कानूनी ढांचे में बड़े बदलाव हुए, इसलिए पाठ्यक्रम को अपडेट करना जरूरी था ताकि छात्रों को सटीक और ताज़ा जानकारी मिले।
नई किताबें और शिक्षण पद्धति
इसके लिए विशेषज्ञ समिति नए कंटेंट पर काम करेगी। किताबें NEP 2020 के अनुरूप होंगी और आधुनिक शिक्षण तकनीक का उपयोग करेंगी, जिससे विषय को समझना आसान होगा।
ज्यादा स्कूलों में विस्तार
अप्रैल 2024 में 29 नए स्कूलों में लीगल स्टडीज शुरू करने की अनुमति दी गई थी। नए बदलाव के बाद यह विषय और ज्यादा छात्रों तक पहुंचेगा, जिससे वे कानून के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए तैयार हो सकेंगे।