रायपुर। राज्य सरकार ने वर्ष 2025-26 के लिए नई गाइडलाइन दरें लागू कर दी हैं। “छत्तीसगढ़ गाइडलाइन दर निर्धारण नियम, 2000” के तहत केन्द्रीय मूल्यांकन बोर्ड द्वारा अनुमोदित ये दरें 20 नवंबर से पूरे प्रदेश में प्रभावी हो चुकी हैं।
वर्ष 2018-19 के बाद पहली बार बड़े पैमाने पर एक राज्यव्यापी रेशनलाइजेशन किया गया है, ताकि वास्तविक बाजार मूल्य और गाइडलाइन मूल्य के बीच लंबे समय से चल रही असमानता को दूर किया जा सके।
पिछले आठ वर्षों में बाजार मूल्य तेजी से बढ़ा, जबकि गाइडलाइन दरें स्थिर थीं। इस अंतर को खत्म करने के लिए राज्यभर में वैज्ञानिक और डेटा-आधारित मूल्यांकन किया गया। अनेक जिलों में अनावश्यक कंडिकाएँ हटाई गईं और समान प्रकार की बसाहट, सड़क संपर्क और विकास स्तर वाले क्षेत्रों को एक ही श्रेणी में शामिल किया गया। इससे संपत्ति मूल्यांकन अब सरल, पारदर्शी और एकरूप हो गया है।
कोण्डागांव जिले में यह सुधार स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। नगर पालिका क्षेत्र में पूर्व की 145 कंडिकाएँ घटाकर केवल 30 कंडिकाएँ निर्धारित की गई हैं। फरसगांव और केशकाल में 49 और 45 कंडिकाओं को घटाकर 15-15 कंडिकाएँ कर दी गई हैं।
राष्ट्रीय राजमार्ग-30 से लगे वार्डों में पूर्व में 7800 से 10850 रुपये प्रति वर्गमीटर तक का अंतर था। नई गाइडलाइन में सभी को एक समान 12,000 रुपये प्रति वर्गमीटर प्रस्तावित किया गया है। इसी प्रकार केशकाल में एनएच-30 किनारे स्थित वार्डों के दर भी 9500 रुपये पर एकरूप किए गए हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में भी हजारों गांवों की दरों में बड़ा सुधार हुआ है। पहले कई गांवों में भूमि मूल्य अत्यंत कम—59,000 रुपये प्रति हेक्टेयर तक था, जिससे किसानों को उचित मुआवजा नहीं मिल पाता था। अब दरें आसपास के विकसित गांवों के अनुरूप समायोजित की गई हैं।
साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में वर्गमीटर दर को समाप्त कर सभी भूमि का मूल्यांकन हेक्टेयर दर से किया जाएगा, जिससे छोटे भूखंडों और कृषि भूमि के वास्तविक मूल्य को न्याय मिलेगा। नई दरों का लाभ सीधे नागरिकों को मिलना शुरू भी हो गया है। नई गाइडलाइन दरें अब राज्यभर में पारदर्शी मूल्यांकन, किसानों को वास्तविक मुआवजा, और शहरी-ग्रामीण संपत्ति लेनदेन में समानता लाने का मार्ग प्रशस्त कर रही हैं।
