रायपुर। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा किसानों की स्थिति सुदृढ़ करने के लिए लगातार नीतिगत निर्णय लिए जा रहे हैं। खेती-किसानी को नया संबल देने वाले इन प्रयासों के तहत बीते खरीफ विपणन वर्ष में रिकॉर्ड 144.92 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी समर्थन मूल्य पर की गई।
पंजीकृत किसानों से प्रति एकड़ 21 क्विंटल की दर से 3100 रुपए प्रति क्विंटल पर धान खरीदकर न सिर्फ किसान सम्मानित हुए, बल्कि उन्हें आर्थिक संबल भी मिला। साथ ही, पूर्व सरकार के दो वर्षों के लंबित बोनस ₹3716.38 करोड़ भी सीधे किसानों के खातों में अंतरित किए गए।
छत्तीसगढ़ की समृद्ध कृषिपरंपरा को दर्शाने वाला पहला त्योहार हरेली गांवों में उल्लासपूर्वक मनाया जाता है। यह पर्व सावन माह की अमावस्या को मनाया जाता है और खेती की शुरुआत का प्रतीक होता है। इस दिन किसान अपने पशुधन को स्नान कराकर खेती के औजारों की पूजा करते हैं। माताएं गुड़ का चीला बनाती हैं और घर-आंगन में पूजा अर्चना होती है।
हरेली के दिन गेड़ी चढ़ने की परंपरा गांवों की पहचान है। बांस से बनी गेड़ी पर बच्चे और युवा पूरे गांव में घूमते हैं। गेड़ी पर चलते समय निकलने वाली “रच-रच” की ध्वनि पूरे वातावरण को आनंदमय बना देती है। पशुओं को इस दिन औषधियुक्त आटे की लोंदी खिलाई जाती है। यादव समाज के लोग जंगल से लाकर जड़ी-बूटियों से बनी औषधि वितरित करते हैं, जिसे किसान चावल-दाल देकर सम्मानपूर्वक स्वीकार करते हैं।
इस दिन लोहार चौखट में कील ठोकते हैं और पौनी-पसारी नीम की डाली घरों के दरवाजे में लगाते हैं, जिससे अनिष्ट टाला जा सके। ग्रामीण महिलाएं पारंपरिक व्यंजन बनाकर देवी-देवताओं को भोग लगाती हैं। हरेली पर्व, परंपरा, प्रकृति और कृषि की अद्भुत संगम है जो छत्तीसगढ़ की संस्कृति को जीवंत बनाता है।