हिड़मा का एनकाउंटर नक्सलियों ने बताया फर्जी: माओवादी केंद्रीय कमेटी ने 23 नवंबर को प्रतिरोध दिवस की घोषणा की

रायपुर। माओवादी संगठन सीपीआई (माओवादी) की केंद्रीय कमेटी ने एक प्रेस नोट जारी कर वरिष्ठ नक्सली नेता माड़वी हिड़मा की मृत्यु को “फर्जी एनकाउंटर” बताया है।

कमेटी का दावा है कि 15 नवंबर को दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के सचिव और केंद्रीय कमेटी सदस्य माड़वी हिड़मा को उनके साथियों सहित विजयवाड़ा शहर से निहत्थे गिरफ्तार किया गया और बाद में उनकी हत्या कर घटना को मारेडुमिल्ली जंगल में हुई मुठभेड़ के रूप में प्रस्तुत किया गया। संगठन ने कहा है कि एओबी राज्य कमेटी सदस्य शंकर और अन्य सदस्यों को भी इसी तरह रंपा चौडवरम क्षेत्र में मारकर मुठभेड़ का रूप दिया गया।

प्रेस नोट में केंद्र और राज्य सरकारों पर आरोप लगाया गया है कि वे “फासीवादी नीतियों” के तहत जनता के बीच डर का माहौल बनाने के लिए ऐसी कार्रवाइयों को अंजाम दे रही हैं। संगठन का कहना है कि हिड़मा इलाज के लिए विजयवाड़ा गए थे और कुछ स्थानीय लोगों की सूचना पर पुलिस उन्हें पकड़ने में सफल हुई।

माओवादी कमेटी का आरोप है कि गिरफ्तारी के बाद सरेंडर प्रक्रिया विफल होने पर उन्हें मार दिया गया और उसके बाद मुठभेड़ की कहानी गढ़कर हथियार मिलने व छह नक्सलियों के मारे जाने का दावा किया गया, जिसे संगठन ने पूरी तरह “झूठ” बताया है।

सीपीआई (माओवादी) ने हिड़मा, शंकर, राजे, चैतु, कमलु, मल्लाल और देवे सहित सभी मृत माओवादी सदस्यों को श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें “शहीद” बताया। संगठन ने पूरे देश में 23 नवंबर को “प्रतिरोध दिवस” मनाने की अपील भी की है।

माड़वी हिड़मा दंतेवाड़ा–सुकमा क्षेत्र में माओवादी गतिविधियों का प्रमुख चेहरा रहा है। प्रेस नोट के अनुसार, वह 1997 में पेशेवर क्रांतिकारी के रूप में संगठन में शामिल हुआ और दो दशक से अधिक समय में एलओएस कमांडर, डिवीजनल कमेटी सदस्य, बटालियन कमांडर, दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी सचिव से होते हुए केंद्रीय कमेटी तक पहुंचा। सरकारी एजेंसियों की ओर से इस प्रेस नोट पर किसी आधिकारिक प्रतिक्रिया की जानकारी उपलब्ध नहीं है।

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