दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को तीन देशों साइप्रस, कनाडा और क्रोएशिया की चार दिवसीय यात्रा पर रवाना हो गए। यह दौरा 15 जून से 19 जून तक चलेगा, जिसमें वह कुल 27,745 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे। मोदी की इस यात्रा की शुरुआत साइप्रस से होगी, जहां वे 15 और 16 जून को रहेंगे। इसके बाद वे कनाडा में 16-17 जून को होने वाले G7 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे और 18 जून को क्रोएशिया पहुंचेंगे। 19 जून को वे भारत लौट आएंगे।
मोदी, साइप्रस का दौरा करने वाले तीसरे भारतीय प्रधानमंत्री बनेंगे। इससे पहले इंदिरा गांधी ने 1983 में और अटल बिहारी वाजपेयी ने 2002 में यह यात्रा की थी। इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री निकोसिया में साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडोलाइड्स से मुलाकात करेंगे और लिमासोल में व्यापारिक नेताओं को संबोधित करेंगे। भारत और साइप्रस के रिश्ते ऐतिहासिक रूप से मजबूत रहे हैं, लेकिन इतने उच्चस्तरीय दौरे कम ही हुए हैं।
कूटनीतिक उद्देश्यों से जुड़ा है दौरा
यह दौरा कई कूटनीतिक उद्देश्यों से जुड़ा है। पहला, साइप्रस भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर (IMEC) का हिस्सा है, जिसे चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के जवाब में देखा जा रहा है। दूसरा, यह दौरा पाकिस्तान समर्थक तुर्किये को संदेश देने का माध्यम भी है, जिसने साइप्रस के उत्तरी हिस्से पर अवैध कब्जा कर रखा है।
तीसरा, साइप्रस ने भारत के ‘ऑपरेशन सुकून’ और ‘सेफ होमकमिंग’ में सक्रिय सहयोग दिया था। साथ ही वह कश्मीर मुद्दे पर भारत का समर्थन करता आया है और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) और NSG में भारत की सदस्यता का समर्थन भी करता रहा है। साइप्रस एक यूरेशियन द्वीप देश है, जिसे 1960 में स्वतंत्रता मिली थी। 1974 में यह देश दो भागों में बंट गया एक ग्रीस समर्थित दक्षिणी हिस्सा और तुर्किये नियंत्रित उत्तरी हिस्सा, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता नहीं है। भारत हमेशा साइप्रस की संप्रभुता का समर्थन करता रहा है।