रायपुर/केरल। केरल में 17 दिसंबर को छत्तीसगढ़ के प्रवासी मजदूर राम नारायण बघेल (40) को भीड़ ने बांग्लादेशी समझकर बेरहमी से पीट-पीटकर मार डाला।
शुरुआती जांच में पता चला कि मजदूर के पास चोरी का कोई सबूत नहीं था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में शरीर पर 80 से ज्यादा चोटों के निशान दर्ज किए गए। सिर पर गंभीर चोट के कारण खून बहने से उनकी मौत हुई।
इस घटना के बाद परिवार ने 25 लाख रुपए मुआवजे की मांग की थी। केरल कैबिनेट ने पीड़ित परिवार को 30 लाख रुपए देने का निर्णय लिया। इसके अलावा छत्तीसगढ़ सरकार ने 5 लाख रुपए की आर्थिक मदद की घोषणा की। राम नारायण के शव को छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले के पैतृक गांव लाया गया और बुधवार को उनका अंतिम संस्कार किया गया।
पुलिस ने अब तक सात लोगों को गिरफ्तार किया है, जबकि कुल संदिग्धों की संख्या करीब 15 बताई जा रही है। शुरुआती जांच में कुछ आरोपी राज्य छोड़कर भाग गए थे। वालैयार पुलिस ने आधार कार्ड के जरिए पहचान कर परिजनों को सूचना दी।
सोशल एक्टिविस्ट जब्बार ने इस घटना को मॉब लिंचिंग बताया और कहा कि राम नारायण को नफरत और सांप्रदायिक भड़काऊ बातें कहकर निशाना बनाया गया। मानवाधिकार आयोग ने स्वतः संज्ञान लेते हुए तीन सप्ताह में जांच रिपोर्ट मांगी और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए।
परिवार के दो छोटे बच्चे हैं, जिनकी उम्र 8 और 10 साल है। मजदूर की हत्या के बाद परिजनों ने न्याय की मांग की है। कांग्रेस ने दोषियों पर कठोर कार्रवाई और परिवार को एक करोड़ रुपए मुआवजा देने की मांग भी की थी। इस दर्दनाक घटना ने देश में मॉब लिंचिंग और प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
