IGKV पहुंचे मिलेट मैन ऑफ इंडिया डॉ. खादर वली: बोले- हरित क्रांति के बाद पारंपरिक फसलों की उपेक्षा हुई, सिर्फ गेहूं-धान पर निर्भर नहीं रह सकते

रायपुर। रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (IGKV) और कृषक कल्याण परिषद द्वारा आयोजित एक विशेष सेमिनार में मिलेट मैन ऑफ इंडिया और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित डॉ. खादर वली ने मुख्य वक्ता के रूप में शिरकत की। कार्यक्रम का उद्देश्य मिलेट्स (श्री अन्न) के महत्व और उपयोगिता को बढ़ावा देना था।

डॉ. वली ने कहा कि एक समय भारत में मिलेट्स का व्यापक उत्पादन होता था, लेकिन हरित क्रांति के बाद देश केवल गेहूं और धान पर निर्भर हो गया। इसके चलते पारंपरिक फसलों की अनदेखी हुई और किसानों के हितों को नुकसान पहुंचा। उन्होंने कहा कि मिलेट्स जलवायु परिवर्तन के अनुरूप फसलें हैं, जिन्हें कम पानी, कम उर्वरक और कम लागत में भी उगाया जा सकता है। ये 10 से 35 डिग्री तापमान में अच्छे से पनपते हैं और पर्यावरण पर भी न्यूनतम प्रभाव डालते हैं।

उन्होंने बताया कि मिलेट्स फाइबर से भरपूर होते हैं, जो पाचन को बेहतर बनाते हैं और डायबिटीज, मोटापा, हृदय रोग जैसी बीमारियों से बचाव करते हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अपने दैनिक आहार में मिलेट्स को शामिल करें ताकि भारत स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों क्षेत्रों में उदाहरण बन सके।

कार्यक्रम की अध्यक्षता सुरेंद्र चंद्रवंशी, अध्यक्ष कृषक कल्याण परिषद ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. आरती गुहे, डॉ. विवेक कुमार त्रिपाठी और डॉ. एस.एस. टुटेजा मौजूद रहे। 200 से अधिक प्रतिभागियों ने कार्यक्रम में भाग लिया, जिनमें विद्यार्थियों को मिलेट आधारित उत्पाद भी वितरित किए गए।

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