छत्तीसगढ़ में ओबीसी का मेगा सर्वे: 1.25 करोड़ लोगों का बनेगा डिजिटल डेटाबेस, सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर होगी गहन पड़ताल

रायपुर। छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार ने पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की वास्तविक स्थिति समझने के लिए अब तक का सबसे बड़ा डिजिटल सर्वे शुरू किया है।

छत्तीसगढ़ पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग करीब 1.25 करोड़ ओबीसी नागरिकों का डेटा इकट्ठा कर डिजिटल डेटाबेस तैयार कर रहा है। इसके लिए विशेष सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है, जिसमें जिलों से प्राप्त आंकड़े अपलोड होंगे। यह अध्ययन आर्थिक, शैक्षणिक, सामाजिक और रोजगार से जुड़ी स्थिति का विस्तृत विश्लेषण करेगा।

राज्य में करीब 95-96 ओबीसी जातियों का सर्वे किया जा रहा है, जिनमें रंगरेज, धोबी, नाई, तेली, लोहार, सुनार, बढ़ई, भोई, केंवट, अहीर आदि शामिल हैं। आयोग इन समाजों के प्रतिनिधियों के साथ वर्कशॉप और संगोष्ठियां आयोजित कर रहा है ताकि जमीनी आंकड़े सटीक रूप से एकत्रित किए जा सकें।

हालांकि आयोग के सामने चुनौती यह है कि कई बार सामाजिक संगठन राजनीतिक मतभेदों के कारण विभाजित हो जाते हैं, जिससे वास्तविक मुद्दों पर चर्चा प्रभावित होती है। आयोग निष्पक्ष और पारदर्शी अध्ययन पर जोर दे रहा है ताकि नीति निर्माण में सही दिशा मिल सके।

कांग्रेस शासनकाल में जहां क्वांटीफायबल डेटा आयोग ने ओबीसी की गणना कराई थी, वहीं वर्तमान भाजपा सरकार ने छत्तीसगढ़ पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के माध्यम से इस पर विस्तृत शोध शुरू किया है।

अध्ययन में शिक्षा, रोजगार, स्वरोजगार, विभागीय प्रतिनिधित्व और योजनाओं की पहुंच जैसे बिंदुओं का विश्लेषण किया जाएगा। आयोग के अध्यक्ष आर.एस. विश्वकर्मा और सदस्यों ने अब तक कई जिलों का दौरा कर योजनाओं की समीक्षा की है।

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