बिपत सारथी @मरवाही। राजमेरगढ़ की पहाड़ियां जहां अब तक केवल वहां रहने वाले कुछ परिवारों का ही निवास स्थान था अब यहां बिलासपुर सहित प्रदेश के दूसरे स्थानों के लोगों ने कब्जा कर लिया है और जमीन के दस्तावेजों के आधार पर खरीदी बिक्री का काम भी शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद अभी तक तपोस्थली बनाने की दिशा में काम तो शुरू नहीं हुआ। पर इसके पहले राजमेरगढ़ में जमीनों पर कब्जे और खरीदी बिक्री का काम शुरू हो गया है। न तो वन विभाग और न ही राजस्व विभाग जमीनों के इस खेल को रोकने की दिशा में कोई काम कर रहा है।
जिला प्रशासन की ओर से वनविभाग की जमीन बतलाकर उनके द्वारा कार्यवाही करने की बात कहकर सिर्फ राजमेरगढ़ अमरकंटक से सटा छत्तीसगढ़ के सबसे खूबसूरत इलाका है और आने वाले दिनों में पर्यटन की संभावना के मददेनजर अब यहां भूमाफिया सक्रिय हो गये है। जिसे लेकर जिला प्रशासन और वन विभाग जरा भी गंभीर नही नजर आता है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जब यहां आए थे, तब उन्होने जिले सहित प्रदेश के तमाम अधिकारियो को पर्यटन मंडल के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव की मौजूदगी में राजमेरगढ़ की पहाड़ियों को निहारते हुये स्पष्ट निर्देश दिये थे। राजमेरगढ़ के पौराणिक और आध्यात्मिक महत्व को देखते हुये यहां तपोस्थली के रूप में विकास किया जाएगा। मुख्यमंत्री के इस निर्देशों का भी पालन राजमेरगढ़ में नहीं होता दिखाई दे रहा है। गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में दूसरे स्थानों की तरह राजमेरगढ़ और आसपास में जमीनों का गोरखधंधा न एक सुंदर पर्यटनस्थल की सुंदरता पर भी ग्रहण लगा रहा है।
जिले की कलेक्टर ने इस बारे में सिर्फ इतना कहा कि वनविभाग का क्षेत्र है और डीएफओ को वहां जमीनों के कब्जे को लेकर अवगत कराते हुये कार्यवाही के लिये कहा गया है।